नई दिल्ली: तीन तलाक के बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार के पास सिर्फ आज का दिन ही बचा है। अगर बिल पास नहीं हुआ तो यह अगले सत्र तक लटका रह जाएगा। वहीं सूत्रों के मुताबिक इस बिल का संसद से पास होने की संभावना खत्म हो गई है। आज सुबह राज्यसभा सभापति वैंकेय्या नायडू ने आखिरी कोशिश की। वैंकेय्या नायडू के साथ बैठक में सरकार और विपक्ष के नेता मौजूद थे। ट्रिपल तलाक बिल को लेकर एक बार फिर बैठक में सहमति नहीं बन पाई। विपक्ष इस बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजने के लिए अड़ी हुई है।
वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह साजिश कर रही है। कांग्रेस बिल लटकाने के लिए नए-नए बहाने ढूंढ रही है। मतलब साफ है कि मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए कांग्रेस की मंशा नहीं है जबकि बिल पास कराने पर कांग्रेस को सहयोग करना चाहिए। मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि कांग्रेस की वजह से देर हो सकती है, अंधेर नहीं।
राज्यसभा में तीन तलाक बिल को प्रवर समिति में भेजे जाने को लेकर जारी गतिरोध गुरुवार को भी खत्म नहीं हो सका था। विपक्ष एवं सत्ता पक्ष के अपने अपने रूख पर अड़े रहने और हंगामे के चलते इस मुद्दे पर उच्च सदन की बैठक को निर्धारित समय से पहले स्थगित करना पड़ा। विपक्ष कल भी राज्यसभा में तीन तलाक के बिल को फौजदारी अपराध घोषित करने के प्रावधान वाले विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग पर अड़ा रहा।
कांग्रेस के आनंद शर्मा तथा तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर रॉय द्वारा विधेयक पर दो संशोधन प्रस्तावों पर नेता सदन अरुण जेटली ने आपत्ति दर्ज की। इस पर विपक्ष विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग पर अड़ा रहा।
इससे पहले जेटली ने सदन संचालन संबंधी नियमों के हवाले से कहा कि किसी भी संशोधन प्रस्ताव को पेश करने से एक दिन पहले इसका नोटिस देना अनिवार्य है। साथ ही उन्होंने विपक्ष द्वारा सुझाये गये प्रवर समिति के सदस्यों के नामों के बारे में कहा कि ये सदन का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट किया कि उनका दल तीन तलाक विधेयक के विरोध में नहीं है बल्कि इसमें मुस्लिम महिलाओं के हितों की अनदेखी किये जाने के खिलाफ हैं।
आजाद ने कहा कि अगर विधेयक में तीन तलाक से पीड़ित महिला के पति की सजा के दौरान उसके और उसके बच्चों के भरण पोषण के इंतजाम से जुड़े प्रावधान शामिल किये जायें या सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करे, तो उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन करने के लिये तैयार हैं।
इस बीच विपक्ष द्वारा पेश दो संशोधन प्रस्तावों पर जेटली के तर्क सुनने के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने व्यवस्था देते हुये कहा कि दोनों प्रस्ताव सभापति की पूर्व मंजूरी के बाद पेश किये गये हैं इसलिये ये सदन की संपत्ति हैं और सदन ही इस पर कोई फैसला कर सकता है। सत्तापक्ष द्वारा विधेयक पर चर्चा कराने पर सदन में आमराय न बनते देख उपसभापति ने कार्यसूची के मुताबिक जीएसटी विधेयक पर चर्चा शुरू करने को कहा।
इस पर विपक्षी सदस्यों ने तीन तलाक विधेयक पर मतविभाजन की मांग उठाते हुये हंगामा शुरू कर दिया। सदन की गहमागहमी और हंगामे को देखते हुये उपसभापति ने शाम पांच बजकर 45 मिनट पर सदन की कार्यवाही को दिन भर के लिये स्थगित कर दिया।