नई दिल्ली: संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। विपक्ष के कुल 31 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। बीएसपी, सपा, एनसीपी और पीडीपी ने बॉयकट किया।
बिल के पास होने के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ट्विटर पर आपस में ही भिड़ गए। इस विवाद की शुरुआत पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के एक ट्वीट से हुई। महबूबा ने एक ट्वीट किया, "तीन तलाक बिल को पास कराने की जरूरत को समझने में नाकाम हूं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसे अवैध करार दिया था। मुस्लिम समुदाय को दंडित करने के लिए अनावश्यक का हस्तक्षेप है।"
महबूबा के ट्वीट का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, "महबूबा मुफ्ती जी, आप को यह चेक करना चाहिए कि इस ट्वीट से पहले आपके सदस्यों ने कैसे वोट किया। मुझे लगता है कि उन्होंने सदन में अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद की क्योंकि बिल पास कराने के लिए उन्हें सदन में नंबर चाहिए थे।"
इस ट्वीट पर महबूबा भड़क गईं और पलटवार करते हुए ट्वीट किया, "उमर साहब, मेरा सुझाव है कि आप नैतिकता का ऊंचा पाठ पढ़ाना बंद कर दीजिए क्योंकि यह आपकी अपनी ही पार्टी थी जिसने 1999 में बीजेपी के खिलाफ मतदान करने के लिए सोज साहब (सैफुद्दीन सोज) को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।"
इस पर अब्दुल्ला ने जवाब देते हुए कहा, "मैडम, अगर 20 साल पुरानी घटना को याद करके आप पीडीपी के छल का बचाव कर सकती हैं तो करिए? इसलिए आप स्वीकार कर रही है कि आपने अपने सांसदों को सदन से गैरहाजिर रहने का निर्देश दिया था और इस गैर-मौजूदगी ने इस बार बीजेपी की मदद की।"
बता दें कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उदघोषणा शून्य और अवैध होगी।’ इस बिल पर पीडीपी के 2 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।