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ट्रिपल तलाक बिल आज पेश होगा राज्य सभा में, पास होने पर संशय बरक़रार

राज्य सभा में आज तीन तलाक़ विधेयक पेश किया जाएगा. पहले ये बिल मंगलवार को पेश किया जाना था लेकिन विपक्षी दलों में आम राय न बनने के कारण पेश नहीं हो पाया था.

Written by: India TV News Desk
Published : January 03, 2018 8:14 IST
Triple Talaq
Triple Talaq

राज्य सभा में आज तीन तलाक़ विधेयक पेश किया जाएगा. पहले ये बिल मंगलवार को पेश किया जाना था लेकिन विपक्षी दलों में आम राय न बनने के कारण पेश नहीं हो पाया था. लेकिन ये बिल आज पास हो पाएगा या नहीं, इस पर अभी संशय बना हुआ है. सरकार चाहती है ये बिल जिस तरह लोक सभा में पास हुआ था उसी तरह राज्य सभा में भी हो जाए ताकि इसे दस्तख़त के लिए राष्ट्रपति को भेजा जा सके और क़नून बन सके लेकिन विपक्ष इसे प्रवर समिति को भेजना चाहता है. अगर ये प्रवर समिति (सिलेक्ट कमेटी) को भेजा जाता है तो बिल संसद के इस सत्र में पास नही हो पाएगा क्योंकि संसद-सत्र पांच तारीख़ को ख़त्म हो जाएगा.

विपक्ष ने नहीं दिया ठोस आश्वासन

मंगलवार की शाम को राज्यसभा के कार्य मंत्रणा समिति की इस बारे में बैठक हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका. समिति में सरकार ने विपक्षी पार्टियों को बताया कि यह बिल सरकार की प्राथमिकता में शामिल है और सरकार इसे हर हालत में जल्दी से जल्दी पास कराना चाहती है. विपक्षी पार्टियों की तरफ से सरकार को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला कि वह इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने या फिर इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सदन में दबाव नहीं डालेंगे.

कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल को है सज़ा के प्रावधान पर ऐतराज़

कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके समेत कई विपक्षी दल ऐसे हैं जो सीधे सीधे इस बिल का विरोध तो नहीं कर रहे हैं लेकिन चाहते हैं कि इस पर और विचार विमर्श के लिए इसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. इनका तर्क है कि इस बिल में तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान ज़रुरी नहीं है. उनका कहना है कि इससे मामला सुलझने के बजाय और उलझ जाएगा और पति-पत्नी के बीच सुलह की संभावना एकदम ख़त्म हो जाएगी. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है.

सरकार का कहना है कि यह बेहद छोटा सा कानून है जोकि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर बनाया जा रहा है और इसमें हर स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक सरकार विपक्षी पार्टियों के इस असमंजस का फायदा उठाना चाहती है कि अगर वह बिल का विरोध करेंगे तो महिला विरोधी कहलाएंगे और उन पर कट्टरपंथी होने का आरोप भी लगेगा. कांग्रेस पार्टी पहले से ही लोकसभा में बहस के दौरान बार-बार शाहबानो के मामले का जिक्र होने की वजह से बैकफुट पर है और इस मामले में ज्यादा अड़ंगा नहीं लगाना चाहती. बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साफ कहा कि इस बिल को लेकर सरकार के दोनों हाथों में लड्डू है अगर बिल पास होता है तो सरकार को इसका श्रेय मिलेगा और अगर विपक्षी पार्टियां इस बिल को पास नहीं होने देती हैं तो उन को बेनकाब करने का हमें मौका मिलेगा.

जानकारों के मुताबिक अगर सरकार इस बिल को बुधवार को पास नहीं करा पाती है और विपक्षी पार्टियां इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर जोर देती हैं तो सरकार इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए तैयार हो जाएगी. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा बिल है जिसके पास नहीं हो पाने की हालत में भी सरकार इसका राजनीतिक फायदा उठाएगी और इसका विरोध करने वालों को आगे आने वाले चुनाव में निशाना बनाएगी.

तीन तलाक बिल में ये हैं प्रावधान

- एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा.

- ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा.

- यह कानून सिर्फ 'तलाक ए बिद्दत' यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा.

- तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी.

- पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे.

- यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है.

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