Monday, December 23, 2024
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नागरिकता कानून: मलेशियाई PM महातिर मोहम्मद की टिप्पणी पर भारत सख्त, दूत को तलब कर जताया विरोध

भारत ने नागरिकता कानून पर की गई मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी पर सख्त तेवर दिखाया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 22, 2019 6:55 IST
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Top Malaysian diplomat summoned to MEA over Mahathir Mohamad comments on India's 'internal affairs' | AP File

नई दिल्ली: भारत ने नागरिकता कानून पर की गई मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी पर सख्त तेवर दिखाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को मलेशिया उप राजदूत को तलब कर संशोधित नागरिकता कानून की आलोचना करते हुए की गई महातिर मोहम्मद की ‘असंवेदनशील’ टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मलेशिया के वरिष्ठ राजनयिक को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और उनसे कहा गया कि मलेशियाई प्रधानमंत्री की टिप्पणी किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के स्थापित राजनयिक चलन के अनुरूप नहीं है।

खबरों के अनुसार मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने शनिवार को कुआलालंपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संशोधित नागरिकता कानून की आलोचना की और भारत में अल्पसंख्यकों द्वारा सामना की जाने वाली ‘कठिनाइयों’ पर चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने मुद्दे पर उनकी पिछली टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार को एक बयान में उन्हें ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ करार दिया था। इसमें कहा गया, ‘हम मलेशिया से भारत के आंतरिक घटनाक्रमों पर टिप्पणी करने से परहेज करने की अपील करते हैं, विशेषकर तथ्यों की सही समझ के बिना।’

सूत्रों ने बताया कि मलेशियाई उप राजदूत को इससे अवगत कराया गया कि महातिर मोहम्मद की टिप्पणी ‘असंवेदनशील’ थी और उन्हें इस मुद्दे पर गलत जानकारी दी गई है। सूत्रों ने बताया कि साथ ही मलेशिया को द्विपक्षीय संबंधों पर एक दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोंण अपनाने को कहा गया। उन्होंने कहा कि मलेशियाई राजनयिक को यह भी बताया गया कि महातिर मोहम्मद की टिप्पणी न तो आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की स्वीकृत राजनयिक चलन के अनुरूप है और न ही दोनों देशों के संबंधों की स्थिति के अनुरूप ही है।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने नए कानून की आलोचना की और कहा कि इसकी क्या आवश्यकता थी जब भारत में विभिन्न समुदाय 70 वर्ष तक एक साथ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी अपने एक बयान में कहा था कि नया कानून भारत के किसी भी नागरिक की स्थिति पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं डालता, न ही किसी आस्था को मानने वाले किसी भारतीय को नागरिकता से वंचित करता है। (भाषा)

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