इतिहास में साल 2020 जहां कोरोना संकट के लिए पहचाना जाएगा। वहीं यह साल कुछ ऐसे राजनीति प्रयोगों और उठापटक के लिए भी जाना जाएगा, जो भारतीय लोकतंत्र को दुनिया भर में अलहदा बनाते हैं। साल की शुरूआत में जहां अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को चारों खाने चित्त करते हुए अपनी हैट्रिक पूरी की, तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश के सियासी खेल में सीएम कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक गुगली समझ ही नहीं सके और उनके पैरों के नीचे से जमीन जाती रही। साल में कोरोना के चलते जहां पूरी जनता लॉकडाउन में रही, वहीं राजनीति का मैदान भी कुछ महीने शांत रहा। जब कोरोना का कुहासा कुछ कम हुआ तो एंटी इंकम्बेंसी के बावजूद नीतिश कुमार ने चौका मार दिया। अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की बात करें तो दशकों से एनडीए का साथी रहे अकाली दल कृषि बिलों के विरोध में भाजपा से दूर हो गए। आइए जानते हैं इस साल की कुछ ऐसी ही 10 दिलचस्प घटनाओं के बारे में जो आने वाले वक्त में 2020 के साल को यादों में जिंदा रखेंगी।
केजरीवाल की दिल्ली में हैट्रिक
इस साल की शुरूआत दिल्ली में विधानसभा चुनाव के साथ हुई। 2020 के साल की बात करें तो यह अपने साथ संशोधित नागरिकता कानून का विरोध भी साथ में लेकर आया था। दिल्ली समेत देश भर में जनवरी में प्रदर्शन हुए। दिल्ली चुनाव में शाहीनबाग चर्चा का केंद्र रहा। इसी मुद्दे पर सियासी उफान के बीच दिल्ली में फरवरी 2020 में विधानसभा चुनाव हुए। मगर दिल्ली में ध्रुवीकरण नहीं चला और अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने सूपड़ा साफ करते हुए 70 में से 62 सीटें जीतकर तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। भाजपा के हाथ आठ सीटें आईं और कांग्रेस का तो इस बार भी खाता नहीं खुला।
मध्य प्रदेश में शिवराज की गुगली
दिल्ली में हार का मुंह देखने वाली बीजेपी को अगले महीने ही मुस्कुराने का मौका मिला। होली के हुड़दंग के बीच मध्य प्रदेश में नई राजनीतिक पटकथा लिखी जाने लगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से नाराज क्या हुए, कमलनाथ की सरकार की चूलें ही हिल गईं। बहुमत के सहारे चल रही कमलनाथ की सरकार मार्च 2020 में गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 25 विधायकों ने बगावत कर इस्तीफा दे दिया। करीब एक माह विधायक कर्नाटक के होटल में रहे। 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यानि शिवराज की गुगली ने सही कमलनाथ मुख्यमंत्री से पूर्व सीएम तक पहुंचा दिया।
राजस्थान में एमपी पार्ट 2 की कोशिशें नाकाम
साल की शुरूआत में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से नाराज होकर दूर हो गए। वहीं साल के बीच में ऐसी ही खबरें एक और कांग्रेसी युवा नेता सचिन पायलट के खेमे से आईं। जुलाई में अशोक गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बगावती तेवर अपनाते हुए दिल्ली में डेरा डाल दिया। राजस्थान के विधायक करीब एक महीने कभी दिल्ली कभी मानेसर और कभी जयपुर के होटलों में दिखाई देते। लेकिन पेशे से जादूगर रहे अशोक गहलोत ने राजस्थान में एमपी पार्ट 2 का तिलिस्म नहीं रचने दिया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दखल के बाद पायलट आखिरकार मान गए, पायलट ने 10 अगस्त 2020 को सुलह समझौते की बात मान ली।
छूटा एनडीए का सबसे पुराना साथी
2019 में एनडीए को जहां शिवसेना ने छोड़कर बीजेपी को चौंका दिया। वहीं 2020 में सबसे पुराना साथी अकाली दल भी एनडीए से दूर चला गया। कारण बना कृषि कानून। सरकार ने जब कृषि बिल के ऑर्डिनेंस पास किए तब जहां अकाली सरकार के साथ थी, वहीं कानून को संसद से मंजूरी मिलते ही रिश्तों में खटास आ गई। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया। अकाली दल ने भी कानून के विरोध में सरकार से रिश्ते खत्म कर दिए।
बिहार में नीतिश का चौका
बिहार में तीन बार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के लिए यह ुनाव नाक का सवाल था। एंटी इनकंबेंसी भारी थी। लेकिन ब्रांड मोदी के साथ नीतिश ने अंतिम बॉल पर जीत दर्ज की। बेहद रोचक मतगणना में खेल सुपर ओवर तक गया। विपक्ष में तेजस्वी की घातक गेंदबाजी के बीच नीतिश बांउड्री पर लपके जाने से बच गए और बहुत कम अंतर से चौथी बार विजयी बनने में सफल हुए। राजद 75 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बिहार विधानसभा चुनाव की 243 सीटों में एनडीए को बहुमत से सिर्फ दो ज्यादा 125 सीटें मिलीं। राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं।
नड्डा बने बीजेपी के शाह
2019 के चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद अमित शाह जब गृहमंत्री बने तब भाजपा को ऐसे ही नेता की तलाश थी जो शाह की तरह जुझारू हो वहीं पार्टी को एकजुट रखे। 2020 की जनवरी में वरिष्ठ नेता जगत प्रकाश नड्डा को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। 6 अप्रैल 2020 को बीजेपी के स्थापना दिवस पर उन्होंने पद संभाला। शाह के गृह मंत्रालय संभालने के बाद जुलाई 2019 में उन्हें बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। नड्डा के नेतृत्व में भाजपा ने बिहार चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भी भाजपाशासित सरकारों को कामयाबी मिली।
जगजाहिर हुई कांग्रेस की फूट
लोकसभा के बाद ही लगातार विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बीच कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का असंतोष भी इस साल जगजाहिर हो गया। अगस्त 2020 में गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं का एक पत्र सामने आया। इन नेताओं में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, भूपेंदर सिंह हुड्डा आदि शामिल थे। पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने संगठन चुनाव समेत तमाम मांगें उठाई गईं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी इस पर तीखी जुबानी जंग देखने को मिली