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जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी, तब तक देश में ओबीसी को न्याय नहीं मिलेगा: जदयू

लोकसभा में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में भाग लेते हुए जनता दल (यूनाइटेड) ने केंद्र से जातीय जनगणना कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 10, 2021 16:20 IST
Till caste census is not done, OBCs will not get justice in the country: JDU
Image Source : ANI लोकसभा में जदयू ने कहा कि जब तक जातीय जनगणना नहीं होता तब तक देश में ओबीसी के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।

नयी दिल्ली: लोकसभा में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में भाग लेते हुए जनता दल (यूनाइटेड) ने केंद्र से जातीय जनगणना कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के साथ न्याय नहीं हो पाएगा। जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के कल्याण की दिशा में सरकार की नीयत साफ है, इसलिए सुधार की लगातार संभावनाएं बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में यह विधेयक लाया गया है जो स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि लेकिन ‘‘जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी तब तक हम देश में ओबीसी को न्याय नहीं दिला पाएंगे। 1931 में जातीय जनगणना हुई थी और अब सरकार को 2022 में जातीय जनगणना करानी चाहिए।’’ 

जदयू सांसद ने कहा कि यह भ्रम है कि जातीय जनगणना के बाद आंकड़े आने से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भेदभाव होगा। उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जातीय जनगणना का संबंध राजनीतिक नहीं बल्कि बल्कि सामाजिक है। मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में आयोजित जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद जातीय जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के संबंध में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कुमार ने कहा, ‘‘उनका पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को चार अगस्त को प्राप्त हो चुका है। अभी तक इसका जवाब नहीं आया है। हमलोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो जाय, यह केंद्र सरकार पर निर्भर है। यह हमलोगों की पुरानी मांग है। हम पहले भी इस संबंध में अपनी बातों को रखते रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि सबको मालूम है कि वर्ष 2019 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद् से सर्वसम्मति से इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया, इसके बाद वर्ष 2020 में विधानसभा से एक बार फिर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। कुमार ने कहा, ‘‘हमलोगों की इच्छा है कि जातीय जनगणना हो। इसका काफी फायदा होगा। एक बार जातीय जनगणना होने से एक-एक चीज की जानकारी हो जायेगी। किस जाति की कितनी आबादी है-- इसकी जानकारी होने से विकास की योजनाओं का लाभ सभी को मिलेगा।’’ उन्होंने कहा,‘‘जातीय जनगणना सभी के हित में है। हमलोगों की चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो, आगे यह केंद्र सरकार का काम है। अगर प्रधानमंत्री समय देंगे तो हमलोग जरुर मिलकर अपनी बातों को कहेंगे। इसका संबंध राजनीतिक नहीं है बल्कि सामाजिक है।’’ 

उन्होंने कहा कि 1931 में अंतिम बार जातीय जनगणना हुई थी, इसे एक बार फिर कराना देश के हित में है, जाति का आंकड़ा एक बार सामने आ जाने के बाद यह सबके हित में काम होगा। उनके अनुसार ये किसी व्यक्ति विशेष के हित की बात नहीं है। मंडल आयोग की बाकी अनुशंसाओं को लागू करने को लेकर उठ रही मांग के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि ये तो केंद्र सरकार का काम है। एक महत्वपूर्ण अनुशंसा आरक्षण था जो पहले ही लागू हो चुका है।

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