देहरादून: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा, "विविधता से भरे देश में शासन करना और क्षेत्र, भाषा, जाति और धर्म के कारण उत्पन्न चुनौतियों का प्रबंध करना विलक्षण कार्य है, हालांकि संसदीय प्रणाली ने हमारी मिट्टी में गहरी जड़ें जमा रखी हैं। हमने संसद के निचले सदन के लिए 16 आम चुनाव कराने के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव सफलतापूर्वक कराए हैं।"
उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "एक विधायक की 24 घंटे जिम्मेदारी है। विधायकों को हमेशा लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें विधानसभा में जनता की शिकायतें उठानी चाहिए और जनता और सरकार के बीच संपर्क के रूप में काम करना चाहिए।"
प्रणब ने कहा, "उन्हें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि युवा और आकांक्षाएं रखने वाले भारतीय उन्हें सेवा प्रदाता के रूप में देखते हैं। वह पांच वर्ष समाप्त होने पर उनके कामकाज का हिसाब मांगेंगे। निर्वाचित होकर आए हम सभी को याद रखना चाहिए कि जनता हमारी मालिक है। हम सब यहां इसलिए हैं क्योंकि हमने वोट मांगा और हमें उनका समर्थन मिला।"
राष्ट्रपति ने कहा, "विधानसभा में अनुशासन और शिष्टाचार हमेशा बने रहना चाहिए और नियमों का पालन होना चाहिए। संसदीय परम्पराएं, प्रक्रियाएं और परिपाटियां इसलिए बनी हैं ताकि सदन का कामकाज सुचारू रूप से चले। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देशभर में विधायी कार्यो के लिए विधायकों द्वारा तय समय धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।"
राष्ट्रपति ने उत्तराखंड विधानसभा के साथ ही अन्य विधानसभाओं से आग्रह किया कि वे अपनी बैठकें बढ़ाने के बारे में विचार करें ताकि राज्य के विषयों पर अच्छी तरह चर्चा की जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि जनता के लिए विधानसभाओं में संग्रहालय स्थापित किए जाएं ताकि लोगों को इनके नजदीक लाया जा सके।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक विधायक को चर्चा की विषयवस्तु और गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए।