पटना| बिहार से दूर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भले ही विधानसभा चुनाव हो रहा है, परंतु उसकी तपिश बिहार की सियासत में भी महसूस की जा रही है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 'महबूब नेता' तक बता दिया। तेजस्वी ने नीतीश पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को दिल्ली में अपने महबूब नेता अमित शाह के साथ चुनावी मंच साझा कर रहे थे। मंच पर अपनी सारी राजनीतिक दुर्दशा, चालाकी और मजबूरी को न चाहते हुए भी प्रदर्शित कर ही गए।"
तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली में यह तो बता देते कि आपने कितने कारखाने और कितनी कंपनियां बिहार में खुलवाई हैं? कितने युवाओं को रोजगार दिया है?" तेजस्वी यादव ने एक बयान जारी कर कहा, "नीतीश कुमार ने मंच साझा करने के दौरान चाटुकारिता के चलते झूठ बोलने के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।"
तेजस्वी ने सवाल किया, "मुख्यमंत्री जी, यह बताएं कि आपके 15 वर्ष के कथित सुशासनी राज के बाद भी करोड़ों बिहारवासी पलायन क्यों कर रहे हैं? अगर आप दिल्ली में इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बिहार से भी बदहाल मानते हैं तो आपकी मनोस्थिति को भगवान ही बेहतर समझ सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री जी, बिहार में चमकी बुखार से 500 बच्चे मरे। गर्मी से हजारों लोग मरे। बाढ़ से मरने वालों की कोई गिनती ही नहीं। जलजमाव का सुशासनी जनाजा पूरे देश ने देखा था। सत्ता संरक्षण में आपके मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा 34 नाबालिग बच्चियों के साथ मुजफ्फरपुर में जो सामूहिक दुष्कर्म हुआ और उस पर सर्वोच्च न्यायालय की आपकी सरकार पर जो टिप्पणियां थी वो किसी भी सभ्य इंसान को सोने नहीं देगी।"
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने कहा, "बिहार की सड़कों को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने क्या टिपपणी की आप भूल गए क्या? 15 साल में बिहार की शिक्षा को किस गर्त में आपने पहुंचा दिया है इसका तो स्वयं आपको भी अंदाजा नहीं है।"
उन्होंने कहा, "दिल्ली जाकर डबल इंजन सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज, बाढ़ पीड़ितों की सहायता राशि और केंद्रीय मदों में बिहार का हक मांगने के बजाय आप संविधान बदलने और अपने ही नागरिकों से नागरिकता छीनने वालों को लोकप्रिय और महानायक बता रहे हैं। शायद अब आप में स्वयं से भी सवाल-जवाब करने का आत्मबल नहीं रहा। सिद्धांत, विचार, नैतिकता और अंतरात्मा तो आपने जनादेश का सौदा करते समय ही बेच दी थी। इसे कहते है एक तो चोरी और ऊपर से सीनाजोरी।"