नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले ही बिहार में महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं। लालू परिवार में आपसी तनातनी की वजह से गठबंधन का वजूद खतरे में पड़ गय है। कल लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप ने छात्र राजनीति से संन्यास की बात कहकर सबको चौंका दिया। खबर है कि तेजप्रताप ने ये फैसला अपने छोटे भाई तेजस्वी से नाराज़ होकर लिया है। बिहार की राजनीति में लालू परिवार की हैसियत किसी से छिपी नहीं है। पिता जेल में हैं और बच्चों के बीच बढ़ती दूरियों की खबरों ने परिवार और संगठन को मुश्किल में डाल दिया है।
बिहार में अब तक महागठंबधन में ही झगड़ा चल रहा था लेकिन अब लालू के परिवार में भी दरार की आहट सुनाई पड़ने लगी है। बड़े भाई तेजप्रताप के रूख ने छोटे भाई तेजस्वी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है। गुरुवार को तेजप्रताप ने अचानक ट्वीटर पर छात्र आरजेडी के संरक्षक पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। तेज प्रताप ने लिखा कि छात्र राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक पद से इस्तीफा दे रहा हूं। तेजप्रताप ने आगे लिखा कि नादान हैं वो लोग जो मुझे नादान समझते हैं। कौन कितना पानी में हैं सबकी खबर है मुझे।
चुनाव से ऐन पहले बड़े भाई की बगावत ने छोटे भाई तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खबरों के मुताबिक बड़े भाई की नाराज़गी की वजह टिकट बंटवारा है। तेजप्रताप शिवहर और जहानाबाद सीट पर अपनी पसंद के उम्मीदवारों को उतारना चाहते थे लेकिन तेजस्वी उनके नामों पर राजी नहीं हैं।
जब बात नहीं बनी तो तेजप्रताप ने छात्र आरजेडी के संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद तेजप्रताप को मनाने का दौर शुरू हुआ और कुछ देर बाद तेजप्रताप ने मैसेज भिजवाया कि किसी वजह से प्रेस कॉन्फ्रेंस टाल दी गई है। हालांकि इन सबके बीच महागठबंधन में कई सीटों पर मामला फिर लटक गया है।
हालात ये हो गई है कि महागठबंधन बनने से पहले ही टूटने की नौबत आ गई। खबरों के मुताबिक औरंगाबाद, जहानाबाद के साथ शिवहर, काराकाट, मोतिहारी, झंझारपुर और मधुबनी में उम्मीदवारों को लेकर एक राय नहीं बन पाई है। अब आज दोबारा पटना में महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी जिसमें तेजस्वी, जीतन राम मांझी, शक्ति सिंह गोहिल के साथ उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश साहनी भी मौजूद रहेंगे।
लालू के जेल जाने के बाद अनौपचारिक तौर पर पार्टी की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव पर अपने ही परिवार को साइड लाइन करने के आरोप लगते रहे हैं। कुछ दिन पहले पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बहन मीसा का नाम गायब होने पर भी तेजस्वी के फैसलों पर सवाल उठे थे। अब बड़े भाई तेजप्रताप ने तेजस्वी की मुश्किल और बढ़ा दी है।