पटना। लोकसभा चुनाव जीत भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार दमदार जीत दर्ज कर केंद्र की सत्ता में वापसी कर रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला इस बार मजबूत गठबंधनों से थे। एनडीए ने इन दोनों ही राज्यों में विपक्षी गठबंधनों को करारी मात दी। बिहार में तो विपक्ष के हालात कुछ ज्यादा खराब नजर आए, यहां राजद का खाता भी न खुल सका और महागठबंधन को महज एक सीट मिली।
विपक्षी दलों में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को लेकर मंथन चल रहा है। बिहार में भी लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर राजद की समीक्षा बैठक मंगलवार को थी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इस बैठक में लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ही नहीं पहुंचे। समीक्षा बैठक में पहुंचने के बजाय उन्होंने ने अपनी करीबी सृजन के माध्यम से बंद लिफाफे में पत्र भेज दिया।
इस पत्र में तेज प्रताप ने लिखा, “मैंने हमेशा पार्टी के अंदर अपराधिक छात्रवृत्ति के लोगों लोगों एवं परिवार को तोड़ने वालों के विरुद्ध आवाज उठाई। शुरू से ही योग्य ईमानदार युवा कर्मठ स्थानीय स्थानीय स्वच्छ छवि पार्टी के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने की मांग की।”
पत्र में तेजप्रताप ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को टिकट न मिलने पर भी पीड़ा जताई। उन्होंने लिखा, “मैंने केवल 2 सीट शिवहर और जहानाबाद मांगी थी क्योंकि वहां की जनता की मांग स्थानीय उम्मीदवार की थी। मैंने बार-बार आपके इर्द-गिर्द के लोगों को से सावधान रहने को कहा था। हार की जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए जिन्होंने टिकट बांटे एवं जो उम्मीदवार लड़े मैंने जो भी मांग की एवं पार्टी हित में सलाह दी मेरी एक भी ना सुनी गई।”
तेज प्रताप ने अपने इस पत्र में बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का चुनाव मजबूती से एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कही, उन्होंने कहा, “आपको (तेजस्वी ) ही प्रतिपक्ष का नेता बने रहना है और जो आप के इस्तीफे की बात कर रहे हैं उनका मैं पुरजोर विरोध करता हूं।
पत्र में तेजस्वी ने कविता के जरिए अपने मन का भाव बताया। उन्होंने लिखा
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो।
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक ना सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम ।
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम ।
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान तेज प्रताप यादव राजद से कटे-कटे नजर आए थे। उन्होंने कई सीटों पर राजद के प्रत्याशियों को चुनाव हारने की अपील कर डाली थी, इतना ही नहीं उन्होंने लालू-राबड़ी मोर्चा का भी गठन किया और कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन भी किया।