Friday, November 22, 2024
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TDP ने छोड़ा NDA का साथ, चंद्राबाबू नायडू ने कहा निजी स्वार्थ नहीं प्रदेश के हित में किया फ़ैसला

नायडू ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर उन स्थितियों से अवगत कराने का फैसला किया, जिसकी वजह से तेदेपा को राजग से अलग होना पड़ा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 16, 2018 14:54 IST
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TDP ने छोड़ा NDA का साथ, अविश्वास प्रस्ताव का करेगी समर्थन

नई दिल्ली: चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है। आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा ना मिलने से नाराज़ टीडीपी ने शुक्रवार सुबह ये बड़ा फैसला लिया। टीडीपी के दोनों मंत्रियों ने पिछले हफ्ते ही मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद समर्थन वापस लिए जाने की अटकलें तेज़ हो गई थीं। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विधानसबा में कहा, ''मैंने ये फ़ैसला निजी स्वार्थ की वजह से नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के हितों को देखते हुए किया है. मैंने चार साल तक हर कोशिश की, 29 बार दिल्ली गया, कई बार कहा. ये केंद्र सरकार का आख़िरी बजट था लेकिन इसमें आंध्र प्रदेश का कोई ज़िक्र नही हुआ., हमें मंत्रीमंडल से अपने मंत्रियों को हटाना पड़ा.''

अलग होने के बाद टीडीपी केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार है। टीडीपी ने केंद्र सरकार द्वारा आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने की वजह से सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का भी फैसला किया है। टीडीपी के राज्यसभा सांसद वाई.एस. चौधरी ने बताया, "हां, हमारी पार्टी (तेदेपा) राजग से अलग हो गई है।" आंध्र के मुख्यमंत्री व टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को पोलितब्यूरोके सदस्यों, वरिष्ठ नेताओं और सांसदों के साथ टेलीकॉन्फ्रेंस के दौरान यह फैसला लिया। इस फैसले के तुरंत बाद टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए अध्यक्ष को नोटिस सौंप दिया। लोकसभा में टीडीपी के 16 सांसद हैं।

पार्टी के सांसद थोटा नरसिम्हन ने संवाददाताओं को बताया कि वे अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 54 सांसदों के हस्ताक्षर जुटा रहे हैं। इससे पहले आठ मार्च को टीडीपी के दो मंत्रियों अशोक गजपति राजू और वाई.एस. चौधरी ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। राजू नागरिक उड्डयन मंत्री और चौधरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री के पद पर काबिज थे। राजग सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद तेदेपा इस गठबंधन से अलग होने वाली पहली पार्टी है।

नायडू ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर उन स्थितियों से अवगत कराने का फैसला किया, जिसकी वजह से तेदेपा को राजग से अलग होना पड़ा। टीडीपी अध्यक्ष ने पोलितब्यूरो सदस्यों को बताया कि वह राजग के अन्य घटक दलों को भी पत्र लिखकर स्पष्ट करेंगे कि चार साल पहले वह मोर्चे में शामिल क्यों हुए थे और किस वजह से उन्हें इससे अलग होना पड़ा। नायडू ने शुक्रवार को टेलीकॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि पार्टी को प्रतिद्वंदी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस द्वारा अविश्वास मत प्रस्ताव पेश करने को समर्थन देने के बजाए अपने बलबूते सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहिए।

टीडीपी प्रमुख ने कहा कि यदि तेदेपा ऐसी किसी पार्टी द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करती है, जिसके नेता पर गंभीर आरोप है, तो इससे जनता के बीच गलत संदेश जाएगा। नायडू ने कहा कि उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव के लिए अन्य दलों से समर्थन मांगेगी। टेलीकॉन्फ्रेंस के दौरान नायडू भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने भाजपा पर वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी और जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण की मदद से तेदेपा को कमजोर करने का आरोप लगाया। टीडीपी केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश के को किए गए वादों को पूरा नहीं करने की वजह से पिछले कुछ सप्ताह से भाजपा से नाखुश थी। पार्टी ने राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की भी मांग की थी, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया।

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