नई दिल्ली: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का आखिरी वीडियो सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो उस वक्त का है जब जयललिता चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती थी। वीडियो में जयललिता अस्पताल के बेड पर लेटी हुई हैं और उनके दहिने हाथ में मेडिकल उपकरण लगा हुआ है जबकि बाएं हाथ में एक ग्लास है जिसके जरिए वो जूस पी रही हैं। इस वीडियो को टीटीवी दिनाकरण के समर्थकों ने जारी किया है। वीडियो जारी होने के बाद चुनाव आयोग भी हरकत में आ गया है। चुनाव आयोग ने दिनाकरण गुट के खिलाफ कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं।
शशिकला पर जयललिता के अस्पताल में इलाज को गुप्त रखने का आरोप है। ये भी खबर उड़ाई गयी कि जयललिता का निधन काफी पहले ही हो गया था लेकिन अस्पताल से सांठगांठ कर शशिकला ने 75 दिन तक खबर को दबाकर रखा। शशिकला कैम्प के विधायक वेट्रीवेल ने टीटीवी दिनाकरण के निर्देश पर ये वीडियो जारी किया है। 21 दिसम्बर को आरके नगर में उपचुनाव से पहले दिनाकरण को ये साबित करना था कि जया का अस्पताल में पूरा ख्याल रखा गया इसीलिए ये वीडियो जारी किया गया है। दिनाकरण खुद चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे गुट की सरकार ने पहले जया के निधन की जाँच के आदेश दे दिए हैं।
इससे पहले जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने बुधवार को एक सदस्यीय जांच पैनल से कहा कि उनकी बुआ पर ‘हो सकता है कि हमला हुआ हो.’ जयललिता की मौत की परिस्थितियों के संबंध में जांच कर रहे पैनल से दीपा ने मांग की कि वी के शशिकला के पूरे परिवार से पूछताछ की जाए। चेन्नई में न्यायमूर्ति ए अरूमुगास्वामी आयोग के समक्ष तीन घंटे तक अपना बयान दर्ज कराने के बाद दीपा ने कहा कि उन्होंने उन परिस्थितियों को लेकर शंका जताई है जिनके तहत जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
उन्होंने चेन्नई में पत्रकारों से कहा, ‘मैंने पैनल को बताया कि ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि (रात नौ बजे तक काम करने के बाद) वह (जयललिता) अस्वस्थ हो जाएं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़े। ऐसी आशंका है कि उन (जयललिता) पर हमला हुआ हो।’ उन्होंने कहा कि 22 सितम्बर, 2016 को जयललिता का स्वास्थ्य ठीक था और उन्होंने उस दिन रात नौ बजे तक काम किया और सरकारी कार्यों में भाग लिया। दीपा ने अपने बयान में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के पोइस गार्डन स्थित आवास के सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जानी चाहिए।
वहीं अपोलो अस्पताल के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को पिछले साल 22 सितंबर को जब अस्पताल लाया गया था तो उनकी ‘सांस नहीं चल रही थी।’ उन्होंने बताया कि उपचार के दौरान उनके साथ वही लोग थे, जिनके नामों की उन्होंने मंजूरी दी थी। अन्नाद्रमुक सुप्रीमो 75 दिन अस्पताल में रहीं। इसके बाद पांच दिसंबर को उनका निधन हो गया। अपोलो अस्पताल की उपाध्यक्ष प्रीता रेड्डी ने नयी दिल्ली में एक निजी टीवी चैनल को बताया, ‘‘उन्हें (जयललिता को) जब अस्पताल ले आया गया था तो उनकी सांस नहीं चल रही थी, उनका उचित इलाज किया गया और उनकी स्थिति बेहतर हुई।’’