चेन्नई: तमिलनाडु की राजनीति के लिहाज से गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने AIADMK 18 विधायकों को अयोग्य ठहराने के तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस एम. सत्यनारायण ने AIADMK के बागी 18 विधायकों की अयोग्य घोषित किए जाने से जुड़े मामले में गुरुवार को यह फैसला सुनाया। इसके साथ ही यह फैसला सत्तारूढ़ ई पलनिसामी सरकार के लिए जहां राहत लेकर आया है, वहीं शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनकरन के गुट को इससे तगड़ा झटका लगा है।
मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जज जस्टिस सत्यनारायण को नियुक्त किया था। उन्हें 2 जजों जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम सुंदर की बेंच पर तीसरा जज बनाया गया था। अदालत ने यह निर्णय पिछले दोनों जजों में अंतिम फैसले को लेकर आपसी असहमति के बाद लिया था। 12 दिनों तक हुई सुनवाई के बाद जस्टिस सत्यनारायण ने अपना अंतिम फैसला 31 अगस्त को सुरक्षित किया था।
क्या है मामला
तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष धनपाल ने इन 18 विधायकों को पिछले साल सितंबर में अयोग्य घोषित कर दिया था। अध्यक्ष की कार्रवाई के खिलाफ इन विधायकों ने सितंबर, 2017 में मामला दाखिल किया था। अदालत के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को बरकरार रखने के निर्णय से सूबे में लगातार जारी सियासी उठापठक पर आखिरकार गुरुवार को विराम लग गया है। आपको बता दें कि अगर कोर्ट ने स्पीकर के फैसले को गलत ठहराया होता तो फिर पलनिसामी सरकार की मुश्किलें बढ़ जातीं।
स्पीकर ने फैसले को बताया धर्म की जीत
तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पीवी जयरामन ने 18 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को धर्म की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसले से धोखेबाजों को झटका लगा है। वहीं, इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए टीटीवी दिनकरन ने कहा कि अब 18 विधायकों को फैसला करना है कि वो क्या करना चाहते हैं, मैंने उनके साथ जबरदस्ती नहीं की है। दिनकरन ने कहा कि वह विधायकों से जाकर मुलाकात करेंगे।