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तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया

मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि, उनका एक अन्य सहयोगी दल पीएमके इसमें शामिल नहीं हुआ। 

Reported by: Bhasha
Published on: August 28, 2021 19:45 IST
तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया - India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया (फाइल फोटो)

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने शनिवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का अनुरोध किया। इन कानूनों के खिलाफ किसान महीनों से दिल्ली से लगे सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि, उनका एक अन्य सहयोगी दल पीएमके इसमें शामिल नहीं हुआ। 

सत्ताधारी द्रमुक के सहयोगी दलों कांग्रेस, भाकपा और माकपा ने प्रस्ताव का समर्थन किया। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सदन को बताया कि कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले किसानों और राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ तमिलनाडु में दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे। स्टालिन ने “संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ” बनाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पेश किया और इसे सर्वसम्मति से पारित किए जाने का अनुरोध किया। 

उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा और खेती को बड़ी कंपनियों के कब्जे में जाने से रोकने के लिये केंद्र को इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। प्रस्ताव में तीनों कृषि कानूनों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया, “हमारे देश के कृषि विकास और किसानों के कल्याण के लिये चूंकि ये तीनों कानून अनुकूल नहीं हैं, इसलिये इन्हें केंद्र सरकार द्वारा निरस्त किया जाना चाहिए।” प्रस्ताव में कहा गया कि यह कानून किसानों के कल्याण के खिलाफ हैं। 

स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन नौ अगस्त 2020 को शुरू हुए थे और 28 अगस्त 2021 को प्रदर्शन का 385वां दिन था। अन्नाद्रमुक के उपनेता ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों के नुकसान की बात प्रस्ताव में कही है, लेकिन उसके फायदों पर भी चर्चा होनी चाहिए। पनीरसेल्वम ने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार ने इस मामले पर केंद्र को पत्र लिखा है और क्या उसे कोई जवाब प्राप्त हुआ है। बाद में विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित घोषित किया। 

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