नई दिल्ली: कर्नाटक के अयोग्य विधायकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य ठहराने के स्पीकर के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस्तीफा देने से स्पीकर के अधिकार खत्म नहीं हो जाते हैं। हालांकि अयोग्यता के मामले में विधायकों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने अयोग्य विधायकों को राहत देते हुए उनको विधानसभा उपचुनाव लड़ने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि विधायकों को विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
बता दें कि 17 विधायकों की गैरमौजूदगी की वजह से कुमारस्वामी की सरकार गिर गई थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसले इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका असर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर भी पड़ेगा। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने इन अयोग्य घोषित विधायकों की याचिकाओं पर 25 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।
विधानसभा में विश्वास मत्र प्राप्त करने मे विफल रहने पर कुमारस्वमी की सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, भाजपा के बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में नयी सरकार का गठन हुआ। इन विधायकों को अयोग्य घोषित किये जाने की वजह से 17 में से 15 सीटों के लिये पांच दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं।
अयोग्य घोषित किये गये विधायक इन उपचुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करना चाहते हैं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 नवंबर है। इन विधायकों ने हाल में शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर कर 15 सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव की तारीख स्थगित करने का निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
इन विधायकों का कहना था कि उनकी याचिकाओं पर न्यायालय का निर्णय आने तक निर्वाचन आयोग को इन सीटों पर चुनाव नहीं कराने चाहिए। अयोग्य घोषित विधायकों की दलील थी कि सदन की सदस्यता से त्यागपत्र देना उनका अधिकार है और अध्यक्ष का निर्णय दुर्भावनापूर्ण है और इससे प्रतिशोध झलकता है। इन विधायकों में से अनेक ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा देते हुये अध्यक्ष को पत्र लिखे थे।