नयी दिल्ली: सोनिया गांधी ने 19 दिसंबर को आपात मीटिंग बुलाई है जिसमें कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर पत्र लिखने वाले असंतुष्ट नेताओं की मांगों को सुना जाएगा। दरअसल पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं का दायरा बढ़ने से फूट तक का खतरा पैदा होने लगा है, जिसके बाद अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह मीटिंग बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यममंत्री कमलनाथ की अहम भूमिका है और 19 अगस्त की इस प्रस्तावित बैठक में वह भी शामिल होंगे। कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले ही सोनिया से मुलाकात की थी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सोनिया से कुछ ऐसे नेता भी मिल सकते हैं जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं, हालांकि वे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल नहीं हैं। मुलाकात के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के उपस्थित रहने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, हालांकि इस ताजा घटनाक्रम में प्रियंका की भी अहम भूमिका मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार सीनियर नेताओं ने यह भी साफ संदेश दे दिया है कि नेतृत्व के लिए खुद राहुल गांधी पूरी सक्रियता से सामने आते हैं तो वह स्वीकार्य होगा, लेकिन अगर वह अपनी ओर से किसी डमी उम्मीदवार को अध्यक्ष पद के लिए आगे करते हैं तो वह स्वीकार्य नहीं होगा और ऐसी परिस्थिति में पार्टी टूट की हालत तक जा सकती है।
दरअसल ऐसी भी खबरें आईं थीं कि राहुल खुद अध्यक्ष पद न लेकर अपने किसी पसंदीदा-करीबी नेता को इस पद पर बैठा सकते हैं। अंसतुष्ट नेताओं ने चेताया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसे चुनौती देंगे। इसके अलावा राहुल की टीम को लेकर भी विवाद है।
सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सुलह की गुंजाइश बढ़ सकती है। बता दें कि गत अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी। इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया।
कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ प्रदेशों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी, आजाद और सिब्बल ने पार्टी की कार्यशैली की खुलकर आलोचना की थी और इसमें व्यापक बदलाव की मांग की थी। इसके बाद वे फिर से कांग्रेस कई नेताओं के निशाने पर आ गए।