मुंबई: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को आज शिवसेना ने महज ‘‘आंकड़ों, घोषणाओं और योजनाओं की आतिशबाजी’’ करार दिया और रुपये के कमजोर होने के लिए उनकी आलोचना की। शिवसेना ने दावा किया कि मोदी ने जहां अपनी सरकार के विकास प्रमाण पत्रों पर जोर दिया वहीं उन्होंने भारतीय रुपये की गिरावट को नजरअंदाज किया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
कमजोर होते रुपये के संकट से उबरने के लिये आरबीआई कोई संभावित हस्तक्षेप करता, इससे पहले ही चार अगस्त को रुपये में ऐतिहासिक गिरावट आई और एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 70 रुपये तक पहुंच गई। इस संदर्भ में शिवसेना ने बीते चार साल में भाजपा के शासन में उसके विकास के दावों पर सवाल खड़ा किया। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री का भाषण सिर्फ आंकड़ों, घोषणाओं और योजनाओं की आतिशबाजी था और इसी उद्देश्य के लिये लाल किले का इस्तेमाल किया गया।’’ शिवसेना ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस के शासन में विकास थम गया। हालांकि रुपया जरूर आज ऐतिहासिक निम्न स्तर को छू गया। जब एक डॉलर 70 रुपये के बराबर हो जाए तो यह अच्छी अर्थव्यवस्था और विकास का संकेत नहीं है।’’
संपादकीय में यह भी कहा गया कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा रुपये की गिरावट को लेकर संप्रग सरकार पर हमलावर रहती थी और इसके लिये भ्रष्ट राजनीति एवं आर्थिक घोटालों को जिम्मेदार ठहराती थी। पार्टी ने पूछा कि क्या पिछले चार साल में मुद्रा में गिरावट की वजह पूर्ववर्ती शासन के दौरान की वजहों से अलग हैं। उसने मोदी के उस बयान पर भी सवाल खड़ा किया कि भारत ‘‘सुपरपावर’’ बनेगा जबकि इस समय मुद्रा में गिरावट आ रही है। ‘सामना’ में लिखा है, ‘‘प्रधानमंत्री ने एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी का हवाला देकर कहा कि पांच करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। प्रधानमंत्री को इस संगठन का नाम बताना चाहिए और यह भी खुलासा करना चाहिए कि ये पांच करोड़ भारतीय कहां हैं।’’
इसमें कहा गया कि मोदी ने कल स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान‘‘भगवा’’ पगड़ी पहनी। शिवसेना ने दावा किया कि यह महज वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू मतदाताओं तक पहुंचने की मुहिम है। शिवसेना ने पूछा, ‘‘क्या भगवा पगड़ी पहनने से हिंदुत्व के सवाल का समाधान हो जाएगा?’’ उसने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 और कश्मीरी पंडितों के भविष्य पर जानकारी मांगी। शिवसेना ने कहा कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं। तकरीबन हर जाति सड़कों पर उतर आई है और पिछड़ा होने का हवाला देकर आरक्षण मांग रही है। पार्टी ने तंज कसा कि जाति प्रणाली खत्म करने के बजाय प्रधानमंत्री ने यह दोहराया कि जाति आधारित आरक्षण बना रहेगा।
शिवसेना ने दावा किया कि मोदी ने लाल किले से अपने पहले के भाषणों में कहा था कि भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के संकटग्रस्त गिलगिट-बाल्टीस्तान इलाकों में दखल दे सकती है। उसने कहा कि लेकिन सीमा पार हो रही गोलीबारी में भारतीय ओर से कई जवान शहीद हुए हैं। शिवसेना ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एक तरफ कर भुगतान करने के लिए नागरिकों की प्रशंसा करते हैं तो दूसरी ओर भगोड़े नीरव मोदी जैसे हीरा कारोबारी उन्हीं करदाताओं का पैसा लूटते हैं और देश से फरार हो जाते हैं।
संपादकीय में लिखा है, ‘‘यह करदाताओं का ही पैसा है जिस पर प्रधानमंत्री ने विदेश यात्राएं कीं और भाजपा ने विज्ञापन पर 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए।’’ शिवसेना ने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से 2019 का एक अच्छा चुनावी भाषण दिया। दो साल पहले मोदी ने नोटबंदी के बारे में बोला, आतंकवाद में इजाफा हुआ और हमारे कई जवान शहीद हुए।’’ इसने कहा, ‘‘शुरू में (नोटबंदी से पहले) जाली नोट नेपाल और पाकिस्तान में प्रिंट किए जाते थे, लेकिन अब चीन में प्रिंट हुए 2,000 रुपये के नकली नोट यहां पहुंच रहे हैं।’’