नई दिल्ली: शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने गुरुवार को कहा कि एयर इंडिया के कर्मचारी ने उनके साथ बदसलूकी की थी। उन्होंने सदन में माफी मांगने की बात कही लेकिन उन्होंने एयर इंडिया के कर्मचारी से माफी मांगने से इनकार कर दिया। गायकवाड़ ने कहा कि उन पर लगे यात्रा प्रतिबंध को हटा दिया जाना चाहिए। उन्हें अन्य पार्टियों का समर्थन भी मिला।
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गायकवाड़ ने 23 मार्च की इस घटना के बाद टीवी चैनलों को बताया था कि उन्होंने एयर इंडिया के कर्मचारी को अपनी चप्पल से 25 बार पीटा था। गायकवाड़ ने कहा कि उन्होंने बिजनेस क्लास का टिकट लिया था लेकिन बावजूद इसके उन्हें इकोनॉमी क्लास में सफर कराया गया। उन्होंने कहा, "मैंने पुणे-दिल्ली उड़ान के नई दिल्ली में उतरने के बाद शिकायत रजिस्टर मांगा लेकिन मुझे नहीं दिया गया।"
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गायकवाड़ ने संसद में कहा, "इसके 45 मिनट बाद एक अधिकारी आया। मैंने उससे शांति से बात की लेकिन उसने मुझसे पूछा कि मैं कौन हूं। मैंने उससे कहा कि तुम कौन हो। उसने बताया कि वह एयर इंडिया का बाप है। जब मैंने उसे बताया कि मैं नेता हूं तो उनमें से एक ने कहा कि लेकिन आप नरेंद्र मोदी नहीं हैं। क्या हैं?"
उन्होंने कहा कि उन्हें एयरलाइन के स्टाफ ने धक्का दिया और फिर उनमें से एक ने मेरा कॉलर पकड़ लिया। उन्होंने बताया, "यहां तक कि एयर होस्टेस ने भी बयान दिया है कि एयर इंडिया के कर्मचारी की बदसलूकी की वजह से यह घटना हुई। इस पूरी घटना का वीडियो भी है।" गायकवाड़ ने कहा, "मुझ पर सभी विमानन कंपनियों ने प्रतिबंध लगा दिया।" उन्होंने कहा कि मुझ पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
गायकवाड़ ने कहा, "मुझ पर आईपीसी की धारा 308 के तहत आरोप लगाए गए जो हत्या की कोशिश करने की धारा है। क्या मेरे पास कोई हथियार था? क्या यह न्याय है।" उन्होंने कहा, "यदि संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है तो मैं संसद से माफी मांगता हूं लेकिन उस अधिकारी से माफी नहीं मांगूगा।"
गौरतलब है कि गायकवाड़ ने एयर इंडिया के कर्मचारी आर.सुकुमार के साथ मारपीट की थी। क्योंकि उन्हें बिजनेस क्लास के बजाए इकोनॉमी क्लास से सफर कराया गया था जिसके बाद सभी विमानन कंपनियों ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि यह प्रतिबंध एक सांसद पर नहीं बल्कि एक यात्री पर लगाया गया है। सभी यात्रियों के लिए सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके बाद शिवसेना सांसदों ने विरोध करना शुरू कर दिया जिसके बाद सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।