भोपाल: पढ़ाई में अव्वल भांजे भांजियों को अब लैपटॉप साइकिल और मोबाइल नहीं मिलने पर मामा यानि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ सरकार पर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। दरअसल 12 वी में 75 फीसदी से ज्यादा नंबर लाने वाले छात्र छात्राओं को शिवराज सरकार में मिलने वाले लैपटॉप समेत मुफ्त स्मार्टफोन और साइकिल देने की योजनाओं पर कमलनाथ सरकार ने घोटाले का हवाला देकर रोक लगा दी है।
कमलनाथ सरकार ने पिछली शिवराज सरकार की कई योजनाओं के ही दरवाजे बंद कर दिए है। अपनी सरकार के दौरान स्कूली बच्चियों को मुफ्त साइकिल से लेकर 12वीं में 75 परसेंट लाने वालों को मुफ्त लैपटॉप और कॉलेज जाने वाले फर्स्ट इयर के छात्रों को 75 फीसदी उपस्थिति होने पर मुफ्त मोबाइल देने की रोक लगी योजनाओं पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब कमलनाथ सरकार पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। शिवराज का कहना है कि कांग्रेस सरकार स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं को बंद कर अन्याय कर रही है, नही चालू किया तो हम आंदोलन करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमने गांव की बेटी योजना बनाई थी। गांव में गांव की बेटी योजना, शहर में प्रतिभा करण योजना जिसमें 12वीं क्लास में 60 फीसदी ज्यादा नंबर लाने वाले जो हमारी बेटियां थी उनको कॉलेज पढ़ाई के लिए 5000 रुपए साल का देते थे वो योजना इन्होंने बंद कर दी। यूनिफॉर्म अभी तक भी नहीं है। साइकिल वितरण का काम हुआ नहीं है। हमने यह भी तय किया था जो बच्चे 12वीं में अच्छे नंबर लेकर जाएंगे 70 फीसदी या उससे ज्यादा उन बच्चों का एडमिशन अगर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईटी देश में किसी भी अधिक तक यूनिवर्सिटी में होता है उनकी पूरी फीस हमारी सरकार भरेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मेधावी विद्यार्थी की प्रो शाइन योजना यह योजना इन्होंने बंद कर दी। हम हजारों बच्चों को लाल परेड ग्राउंड में हजारों बच्चों को 12वीं में अगर वह अच्छे नंबर लाते थे पहले 85 किया फिर एटी किया बाद में हमने बच्चों की मांग पर उसको 75 फीसदी कर दिया 75 फीसदी से ज्यादा नंबर लेकर आएंगे उनको लैपटॉप देने का काम करेंगे। इस सरकार ने लैपटॉप नहीं दिया हमने तय किया कॉलेज में अगर प्रवेश करेंगे स्मार्टफोन देंगे। सरकार ने स्मार्टफोन बंद कर दिए। ऐसी एक नई सारी योजनाएं जो बच्चों के भविष्य बनाती थी इस सरकार ने बंद कर दी। हम सरकार से मांग करते हैं इस सारी योजनाएं अगर बच्चों ने कौन सा पाप किया है, उनसे क्यों बदला ले रहे हैं। आखिर बच्चों की सारी योजनाएं जो उनके भविष्य को बेहतर बनाएंगे को प्रारंभ करें।
दरअसल अपने 13 सालों के कार्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भर के बच्चों के बीच मामा के नाम से जाने जाते रहे। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए कई योजनाएं शुरू की थी।
- स्कूल चलें अभियान के तहत 2017 में साइकिल वितरण योजना शुरू की गई थी जिसमें दो किलो से ज्यादा दूरी तय कर स्कूल जाने वाले कक्षा छठवीं के विद्यार्थियों को 18 इंच और कक्षा नौंवी के विद्यार्थियों को 20 इंच की साइकिलें दीं जा रही थीं।
- शिवराज सरकार ने 2018 में 12 वी क्लास में 75 फीसदी से ज्यादा नम्बर लाने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप योजना शुरू की थी। इससे पहले 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों को इसका लाभ मिलता था। इसके लिए सरकार छात्रों के बैंक खाते में 25 हजार रुपए देती थी।
- शिवराज सरकार ने 2015 में फर्स्ट इयर में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को स्मार्ट फोन देने की योजना शुरू की थी। स्मार्ट फोन के लिए कालेज में 75 फीसदी उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्र पात्र थे।
यह आरोप ना सिर्फ शिवराज के हैं बल्कि सरकार से लैपटॉप, मोबाइल की उम्मीद तो इन योजनाओं पर खरा उतरने वाले छात्र छात्राओं की भी है। ऐसे में कमलनाथ सरकार में मंत्री लैपटॉप, साइकिल और मोबाइल मुफ्त में देने की योजनाओं को बंद करने में बीजेपी के करोड़ों के घोटाले की वजह बता रहे है। मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि दरअसल इस योजना के तहत जो मोबाइल दिए जा रहे थे वह 2 हजार के थे ऐसे में इन मामलों में घोटालों की भी बात सामने आई है इस मामले की जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन सभी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और आगे नए सिरे से नई योजना तैयार की जाएगी।
एमपी सरकार में कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि जो बांटते थे वह 2000 का मोबाइल था और हर चीज में बहुत घोटाले थे और घोटालों की जांच हो रही है और इसकी जांच के बाद दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी उसके बाद जो है उसको नए सिरे से शुरू करना है। उसको किस तरीके से शुरू करना है उसको प्रारंभ करेगी कमलनाथ सरकार।
बहरहाल कांग्रेस का सत्ता में आते ही खाली खजाने का तर्क देकर या फिर घोटालों का हवाला देकर पिछली योजनाओं के नाम बदलने से लेकर कैंची चलाने का सिलसिला अब तक जारी है। ऐसे में सवाल ये कि इस सियासी लड़ाई में क्या गरीबों से लेकर होनहार बच्चों को अब तक मिलता आ रहा उनका हक ऐसे ही छीन लिया जाएगा।