भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आमजन से सीधे संवाद करने के मकसद से रविवार को रेडियो पर शुरू किए गए 'दिल से' कार्यक्रम पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि शिवराज में अब जनता से सीधे आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं रही, इसलिए रेडियो के जरिए बात कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष सिंह ने बयान जारी कर कहा कि अपनी नाकामयाबियों के चलते मुख्यमंत्री शिवराज में अब प्रदेश की जनता से आंख मिलाने की ताकत नहीं है, इसलिए वे अब आकाशवाणी से एकतरफा 'दिल से बात' कर रहे हैं। (गोरखपुर त्रासदी: छात्रों ने विरोध में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के घर के बाहर अंडे फेंके)
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज प्रदेश में अराजकता का माहौल है, मुख्यमंत्री हताश हो चुके हैं। वे खेती को अब लाभ का धंधा नहीं मान रहे हैं, वे रेत के अवैध खनन पर रोक लगाना असंभव बता रहे हैं, भाजपा अध्यक्ष भ्रष्टाचार करने पर अपने ही लोगों को कोस रहे हैं, यह स्थिति बताती है कि एक मुख्यमंत्री के तौर पर वे राज करने में असफल सिद्ध हो गए। सिंह ने कहा कि हमेशा 'संवाद से समाधान' की धारणा को मानने वाले मुख्यमंत्री अब जनता से आंख मिलाकर संवाद करने से कतरा रहे हैं। जब प्रदेश में किसान आंदोलन हुआ तो किसानों से संवाद करने की बजाय मुख्यमंत्री नजरें चुराते रहे, क्योंकि संवाद पर किसान पूछते कि खेती लाभ का धंधा कैसे है, बताएं शिवराज।
उन्होंने कहा कि हाल ही में नौ अगस्त को युवा संवाद कार्यक्रम में युवाओं को संवाद के नाम पर उन्होंने बुलाया और खुद भाषण देकर चले गए। वहां युवा उनसे आजादी के आंदोलन में आरएसएस के योगदान के बारे में जानना चाहते थे। इसी तरह सरदार सरोवर मामले में विस्थापित डूबते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनसे कोई संवाद नहीं किया। यह बताता है कि वे अब जनता से नजरें चुरा रहे हैं, इसलिए 'दिल से बात' कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस 'दिल से' कार्यक्रम के जरिए फिजूलखर्ची पर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। पिछले पंद्रह दिन से लगातार गांव-गांव में इसके प्रचार-प्रसार पर लाखों खर्च हुए हैं। कार्यक्रम के सीधे प्रसारण पर होने वाला खर्च अलग से है।