मुंबई: शिवसेना ने कहा है कि वह संसद के 18 नवम्बर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पूर्व रविवार को दिल्ली में होने वाली राजग (एनडीए) घटक दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से उसका बाहर निकलना लगभग तय है। महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए कांग्रेस और राकांपा (एनसीपी) के साथ बातचीत के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा पार्टी चाहती है कि उनके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। शिवसेना ने आरोप लगाया कि भाजपा की मंशा राज्य में ‘‘खरीद-फरोख्त’ में लिप्त होने की है। लंबे समय से राजग का घटक दल रहे शिवसेना की महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा होने के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ खींचतान चलती रही। शिवसेना का वर्तमान में केन्द्र में कोई प्रतिनिधि नहीं है। उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने 11 नवम्बर को इस्तीफा दे दिया था।
राउत ने कहा, ‘‘मुझे पता चला कि (राजग घटक दलों) की बैठक 17 नवम्बर को हो रही है। महाराष्ट्र में जिस तरह से घटनाक्रम चल रहा है, उसे देखते हुए हमने पहले ही बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला कर लिया था। हमारे मंत्री ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या अब शिवसेना के राजग से बाहर आने की औपचारिक घोषणा होनी ही बाकी बची है तो राउत ने कहा, ‘‘आप ऐसा कह सकते हो। ऐसा कहने में कोई समस्या नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि, ‘‘हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में उद्धव जी सरकार का नेतृत्व करें।’’ राउत ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर आम सहमति पर पहुंच गये हैं और दिल्ली में इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पुणे में रविवार को राकांपा कोर समिति की एक बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि वह अगले सप्ताह दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मिल सकते है। सीएमपी तथा शिवसेना के साथ गठबंधन बनाने के अन्य तौर-तरीकों पर चर्चा के लिए उनके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलने की संभावना है।
इससे पूर्व दिन में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल के बयान को लेकर भाजपा पर निशाना साधा गया। पाटिल ने शुक्रवार को कहा था कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उनकी पार्टी की संख्या 288 सदस्यीय सदन में 119 हो गई है और जल्द ही सरकार बनाई जायेगी। भाजपा के विधायकों की संख्या 105 है। मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘जिनके पास 105 सीटें थीं, उन्होंने पहले राज्यपाल से कहा था कि उनके पास बहुमत नहीं है। अब वे कैसे यह दावा कर रहे हैं कि केवल वे ही सरकार बनायेंगे। खरीद-फरोख्त की उनकी मंशा अब उजागर हो गई है।’’
किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किये जाने के बाद 12 नवम्बर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। भाजपा के साथ अपना गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना समर्थन के लिए कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के पास पहुंची थी। शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी। भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटों पर विजय हासिल की थी। भाजपा ने शनिवार को यहां अपने पराजित उम्मीदवारों के साथ बैठक की। इसके बाद चंद्रकांत पाटिल ने पत्रकारों को बताया कि फडणवीस ने विश्वास जताया है कि पार्टी सरकार बनायेगी।