नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जैसे-जैसे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार बनने के आसार बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे शिवसेना का केन्द्र सरकार पर हमला भी बढ़ता जा रहा है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के आज के संस्करण में पहले तो जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज पर सवाल खड़े किए गये हैं। इसके लिए सीधे तौर पर केन्द्र सरकार और बीजेपी दोनों को निशाने पर लिया गया है। सामना में लिखा है कि केन्द्र के मंत्री को छात्रों से बात करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंन नहीं की और छात्रों पर लाठीचार्ज करवाया।
सामना में ये भी लिखा है कि नेहरू नाम से वर्तमान सरकार का झगड़ा है लेकिन फीस के विरोध में सड़कों पर उतरे छात्रों से सरकार ऐसा खूनी झगड़ा न करे। सामना में जेएनयू के छात्रों के विरोध प्रदर्शन को जायज ठहराते हुए, उन पर हुए लाठीचार्ज को लेकर सवाल खड़े किए गए है और सीधे तौर पर बीजेपी और केंद्र पर निशाना साधा गया है।
साथ ही सामना में शिवसेना का नेहरू प्रेम भी देखने को मिल रहा है। आरोप लगाया गया है कि नेहरू नाम से ही वर्तमान सरकार का झगड़ा है जबकि इसी जेएनयू ने अभिजीत बनर्जी जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता दिए है। सामना में शिवसेना कहा कि अगर यही प्रदर्शन कांग्रेस राज में होता और प्रशासन का ऐसा रवैया होता तो बीजेपी संसद को सिर पर उठा लेती, देश को बन्द करने की घोषणा करते।
सवाल है कि कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के बीच शिवसेना क्या अब खुले तौर पर कांग्रेस के साथ आकर खड़ी हो गयी गई है और नेहरू की पैरवी भी कर रही है। सीएम की एक कुर्सी के लिए क्या सच मे शिवसेना अपना चाल चरित्र चेहरा सब बदल रही है, जो सामना के संपादकीय के जरिये एक झलक के तौर ओर देखी जा सकती है।