मुंबई: महाराष्ट्र के हालिया विधानसभा चुनाव में सीटों के हिसाब से चौथी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास अब राज्य में गैर भाजपा सरकार के गठन की चाबी है। लंबे समय से अपनी सहयोगी रही भाजपा के बिना सरकार बनाने पर विचार कर रही शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वह कांग्रेस और राकांपा दोनों से समर्थन के लिए आधिकारिक संवाद का इंतजार कर रही है।
राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने पर्याप्त संख्या बल नहीं रहने के कारण सरकार बनाने के दावे से पीछे हटने का फैसला किया है। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को न्यौता दिया। मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना का भाजपा के साथ टकराव चल रहा है। भाजपा (105) के बाद 56 विधायकों के साथ 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच गतिरोध को देखते हुए कांग्रेस और राकांपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। राकांपा ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं। राकांपा ने कहा कि उसका कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन है इसलिए गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए वह सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी की आधिकारिक घोषणा के बाद ही कोई फैसला करेगी।
शिवसेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा, ‘‘शिवसेना के सभी विधायकों ने सरकार गठन के दावे के हमारी पार्टी के प्रस्ताव पर दस्तखत किए है। हालांकि हम राकांपा और कांग्रेस के समर्थन के लिए आधिकारिक संवाद का इंतजार कर रहे हैं।’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि राज्य के लोगों की बदहाली को देखते हुए विकल्प के बारे में सोचें। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस से आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त रूप से घोषणा की जाएगी।’’
महाराष्ट्र के लिए एआईसीसी के प्रभारी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने नई दिल्ली में कहा कि पार्टी महाराष्ट्र के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ विकल्प की संभावना पर चर्चा करेगी। उन्होंने कहा , ‘‘हम आज शाम चार बजे अपने फैसले की घोषणा करेंगे।’’ महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल शनिवार 9 नवंबर को समाप्त हो गया।