नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन पर गतिरोध जारी है। एक तरफ एनसीपी-शिवसेना अबतक सरकार गठन का दावा नहीं कर सकी है तो दूसरी ओर भाजपा ने भी अबतक बहुमत का जुगाड़ नहीं किया है जिसके बाद नौबत राष्ट्रपति शासन तक पहुंच गई। कांग्रेस-एनसीपी के रूख के कारण शिवसेना सकते में है। शिवसेना के सूत्र अब ये कह रहे हैं कि अगर एनसीपी-कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो पाया तो शिवसेना फिर से चुनाव में जाने को तैयार है। मध्यावधि चुनाव के लिए भी तैयार है शिवसेना।
इस मैसेज के पीछे दो वजह बताई जा रही है। पहला, कांग्रेस-एनसीपी को भरोसा दिलाना कि उनके अलावा शिवसेना के पास कोई और विकल्प नहीं और दूसरा, उस चर्चा को खारिज करना जिसमें फिर से भाजपा के साथ जाने की संभावना जताई जा रही है।
वहीं भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए सेना ने कहा कि महाराष्ट्र में दूसरी पार्टियों के सरकार गठन की मुश्किलों का भाजपा आनंद उठा रही है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की केन्द्र को भेजी उस रिपोर्ट के बाद राष्ट्रपति शासन का निर्णय लिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी प्रयासों के बावजूद वर्तमान हालात में राज्य में स्थिर सरकार का गठन संभव नहीं है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के 19वें दिन जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच कांग्रेस-राकांपा ने कहा था कि उन्होंने सरकार बनाने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के प्रस्ताव पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया। शिवसेना की ओर से दोनों दलों को यह प्रस्ताव सोमवार को मिला और वह अभी इस पर विचार करना चाहते हैं।
पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में कुल 288 सदस्यीय सदन में से भाजपा के हिस्से में 105 सीटें आयी थीं जबकि शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। सत्ता में साझेदारी को लेकर नाराज शिवसेना ने भाजपा के बिना राकांपा-कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का प्रयास किया। लेकिन ऐसा नहीं होने पर पार्टी मंगलवार को उच्चतम न्यायालय पहुंच गयी।