मुंबई: गोवा के कृषि मंत्री विजय सरदेसाई द्वारा घरेलू पर्यटकों के एक विशेष तबके को ‘धरती की गंदगी’ बताने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शिवसेना ने बीजेपी के नेतृत्व वाली गोवा सरकार को सोमवार को चुनौती दी कि वह ‘धरती की गंदगी’ बता कर घरेलू पर्यटकों के खिलाफ मोर्चा खोलने के बजाय प्रदेश में रहने वाले विदेशियों के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाए। गौरतलब है कि गोवा सरकार के 2 मंत्रियों में से एक ने पिछले दिनों घरेलू पर्यटकों के एक तबके को ‘धरती की गंदगी’ बताया तो दूसरे ने उन्हें प्रदेश से बाहर खदेड़ने की धमकी दे डाली।
यह दावा करते हुए कि आतंकवाद ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग में रोजगार के अवसर कम कर दिये हैं, शिवसेना ने कहा कि गोवा के कृषि मंत्री विजय सरदेसाई की विशेष क्षेत्र के लोगों पर की गई टिप्पणी ‘गैरजिम्मेदाराना’ है। शुक्रवार को प्रदेश के कृषि मंत्री सरदेसाई ने घरेलू पर्यटकों के एक तबके को ‘धरती की गंदगी’ बताते हुए गोवा से अनुरोध किया था कि वह अच्छे पर्यटकों का स्वागत करे और उनकी संख्या पर ना जाये। सरदेसाई ने कहा था, ‘पर्यटकों का एक तबका हंगामा मचा रहा है और वह वास्तव में धरती की गंदगी हैं, हमें गोवा में ऐसे पर्यटक नहीं चाहिए।’
वहीं पर्यटन मंत्री मनोहर अजगांवकर ने गोवा की संस्कृति और तौर-तरीकों का ख्याल नहीं रखने वालों को बाहर खदेड़ने की धमकी दे डाली है। उन्होंने कहा, ‘यहां आने वाले पर्यटकों को गोवा की संस्कृति और तौर-तरीकों का ख्याल रखना चाहिए, वरना मैं उन्हें खदेड़ दूंगा। मैं किसी की नहीं सुनूंगा। मैं साफ-साफ बोल रहा हूं।’ इसपर अपना विचार रखते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी की अगुवाई वाली गोवा सरकार के एक मंत्री गोवा को ‘गटर’ में बदलने के लिए उत्तर भारतीयों को जिम्मेदार बता रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि राज्य पर्यटन पर चलता है और वह कानून-व्यवस्था को सही बनाए रखने में असमर्थ हैं।
सामना के संपादकीय में कहा गया है, ‘गोवा में कुछ इलाके हैं जहां जाने की हिम्मत स्थानीय पुलिस नहीं जुटा पाती है, वहां रूसी और नाइजीरियाई नागरिकों का वर्चस्व है। हम गोवा प्रशासन को चुनौती देते हैं कि वह उन गांवों में जाए और उन्हें नियंत्रण में ले।’ सरदेसाई पर चुटकी लेते हुए संपादकीय में कहा गया है कि गोवा वर्षों तक पुर्तगालियों के दमनकारी शासन में रहा है, फिर भी कुछ मंत्री ऐसे हैं जो उत्तर भारतीयों के यहां आने के बजाय उस पुराने शासन को पसंद करते हैं। शिवसेना ने सवाल किया, ‘यह कैसा राष्ट्रवाद है?’