मुंबई: असम में नेशनल सिटिजन रजिस्टर के मसौदे पर शिवसेना ने केंद्र का साथ दिया है, लेकिन साथ ही कश्मीरी पंडितों की वापसी पर सवाल भी दाग दिया। एनआरसी पर केंद्र का साथ देते हुए शिवसेना ने सवाल किया कि असम से विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने वाली सरकार क्या डेढ़ लाख कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का साहस दिखाएगी? शिवसेना ने कहा कि असम में जो कुछ हो रहा है, वह जम्मू-कश्मीर में भी हुआ होता तो देश के घर-घर पर हिन्दुत्व का भगवा ध्वज लहराने के लिए जनता मुक्त हो गई होती।
‘हिम्मत दिखाने के लिए केंद्र सरकार का अभिनंदन’
अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने लिखा है, ‘विदेशी नागरिकों को चुनकर बाहर निकालने का काम देशभक्ति का ही है और ऐसी हिम्मत दिखाने के लिए हम केन्द्र सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं। विदेशी नागरिक फिर चाहे वे बांग्लादेशी हों अन्यथा श्रीलंका के, पाकिस्तानी हों या म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान, उन्हें देश से बाहर निकालना ही होगा। असम में जो कुछ हो रहा है, वह जम्मू-कश्मीर में भी हुआ होता तो देश के घर-घर पर हिन्दुत्व का भगवा ध्वज लहराने के लिए जनता मुक्त हो गई होती।’
NRC पर भाजपा और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप
असम में NRC का अंतिम ड्राफ्ट जारी होने के बाद राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल, दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। असम NRC में करीब 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं। बेहद लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार NRC पूर्वोत्तर राज्य में अवैध तरीके से रहने वालों की पहचान करने के लिए तैयार की गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि यह सिर्फ ड्राफ्ट है और आपत्तियों और दावों पर विचार के बाद ही फाइनल लिस्ट जारी होगी।
‘कमजोर मन के थे इंदिरा, राजीव और मनमोहन’
सामना ने लिखा है, ‘कश्मीर से हिन्दुओं का सम्पूर्ण खात्मा आतंक के बल पर हुआ है। इस आतंक को खत्म कर मोदी सरकार को कश्मीरी पंडितों के लिए रेड कार्पेट बिछाना चाहिए था। पर रेड कार्पेट बगल में रह गये, उनके पैरों तले की दरी भी खींच ली है। सत्ता में आते ही धारा 370 रद्द करेंगे, कश्मीर को बंधन मुक्त करेंगे, ऐसी बात इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या मनमोहन सिंह ने नहीं की थी। वे सभी कमजोर मन के थे। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिन्दुस्तानी जनता को ऐसा वचन दिया था कि सत्ता में आते ही धारा 370 रद्द कर कश्मीर पर सिर्फ तिरंगा लहराएंगे।’
‘NRC लागू करना हिम्मत का काम’
शिवसेना ने सामना में लिखा है, ‘NRC मतलब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करना जिस तरह हिम्मत का और राष्ट्रीय कार्य है, उसी तरह धारा 370 को रद्द कर राष्ट्रीय तेवर दिखाना भी उतना ही हिम्मत का राष्ट्रीय कार्य है। असम के 40 लाख विदेशी नागरिकों का सवाल हल करने के लिए हम मोदी सरकार का अभिनंदन, त्रिवार अभिनंदन कर रहे हैं। लेकिन साहब, अब कश्मीर के घुसपैठियों, तिरंगा जलाने वालों और पाकिस्तानी झंडा लहराने वालों की ओर भी जरा देखो।’