शिमला: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बीते तीन दशक में पहली बार शिमला नगर निगम में सर्वाधिक सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, लेकिन वह 18 सदस्यों के सामान्य बहुमत के आंकड़े को हासिल करने में नाकाम रही। पार्टी ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, निगम पर 26 वर्षो तक काबिज रहने वाली कांग्रेस के 12 उम्मीदवार निर्वाचित हुए हैं।
साथ ही चार निर्दलीय तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक उम्मीदवार भी चुनाव जीतने में कामयाब रहा।
तीन निर्दलीय पार्षदों शारदा चौहान, कुसुम लता तथा संजय परमार ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का ऐलान किया। जिसका अर्थ है कि कांग्रेस के पास 15 पार्षदों का समर्थन है, लेकिन भाजपा के 17 पार्षदों की तुलना में आंकड़े अभी भी उसके पक्ष में नहीं हैं।
भाजपा के एक नेता ने कहा, "हम एक निर्दलीय पार्षद के समर्थन से नगर निगम पर काबिज होने जा रहे हैं।" चौथे निर्दलीय पार्षद भाजपा के बागी हैं और उनके पार्टी का समर्थन करने की संभावना है, जिससे बहुमत का आंकड़ा पूरा हो जाएगा।
मतदान शुक्रवार को हुआ था, जिसमें 91,000 से भी अधिक योग्य मतदाताओं में से करीब 58 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। चुनाव में निर्वासित तिब्बतियों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चेन्नई तथा कोलकाता के बाद शिमला सबसे पुराना नगर निगम है।
चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच था। हालांकि उम्मीदवारों ने पार्टी के चुनाव चिन्हों पर चुनाव नहीं लड़ा। भाजपा ने 34 उम्मीदवारों, कांग्रेस ने 27 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 22 उम्मीदवारों का समर्थन किया था। शिमला नगर निगम पर 26 वर्षो से कांग्रेस काबिज रही है।
वर्ष 2012 में माकपा ने महापौर, उप महापौर और साथ ही एक पार्षद की सीट जीती थी। इस प्रकार माकपा ने केवल तीन सदस्यों की बदौलत 25 सदस्यीय सदन में शासन किया था। अधिकांश पार्षद कांग्रेस के थे।