जयपुर: पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच द्विपक्षीय बातचीत के नए दौर से पहले सरकार को देखना चाहिए कि पाकिस्तान इसे लेकर कितना गंभीर है। यदि वह आतंकवाद के मसले पर सहयोग करने के लिये तैयार नहीं है तो बातचीत का कोई अर्थ नहीं है।
थरूर ने फिक्की लेडीज आर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित इंडिया ए साफट पावर विषय पर परिचर्चा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आतंकवाद पर कार्रवाई हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और पाकिस्तान को इसमें सहयोग करना चाहिए लेकिन वहां लखवी को जमानत मिल रही है। पहले भी हम देख चुके है कि लाहौर बस यात्रा के बाद करगिल हुआ।
आगरा की बातचीत के बाद आतंकवादी घटनाएं हुईं। ऐसे में यदि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं है तो हमारी बातचीत का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस बातचीत को शुरू करने से पहले सरकार ने अपनी तैयारी कर ली होगी।
थरूर ने कहा कि योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना अच्छी बात है, हालांकि यह काम पहले भी हो रहा था, लेकिन सरकार ने इसे किया और विश्व योग दिवस के रूप में इसे मनाया गया, यह अच है। लेकिन जिस तरह की दूसरी सोच चल रही है और सरकार से जुडे संगठनों के ही लोग जिस तरह की बातें करते है उन पर रोक लगनी चाहिए, वरना यह देश की मिली जुली संस्कृति के लिये खतरा बनेगा।
ललितगेट के बारे में उन्होंने सरकार के रूख पर हैरानी जताते हुए कहा कि कांगेस के कार्यकाल में तो सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफे दे दिये जाते थे, लेकिन इस सरकार में तो आरोपों के बारे में सरकारी एजेंसियों की जांच के बावजूद कु नहीं हो रहा है। ।उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का त्यागपत्र मांगा है। लेकिन मैं समझता हूं कि इस्तीफा हो या नहीं हो, जांच पूरी होनी चाहिए।