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मिडनाइट मीटिंग में नहीं हुआ फैसला, आर्थिक आरक्षण पर हार्दिक का यू-टर्न

हार्दिक पटेल इससे पहले दो बार डेडलाइन बढ़ा चुके हैं। कल आधी रात को जब हार्दिक के समर्थक कांग्रेस के साथ टेबल पर बैठे तो एक बार फिर डेडलाइन बढ़ा दी। हार्दिक की टीम अब इस गोपनीय फार्मूले को लेकर वकीलों और रिटायर्ड जजों से राय लेगी। इस फार्मूले को पाटीद

Written by: India TV News Desk
Updated on: November 09, 2017 10:24 IST
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नई दिल्ली: गुजरात चुनाव में सबकी नज़रें हार्दिक पटेल और कांग्रेस की डील पर लगी हैं लेकिन वो अब भी फाइनल नहीं हो पाई है। बुधवार देर रात तक कांग्रेस और टीम हार्दिक के बीच चली मैराथन मीटिंग में भी कोई आखिरी फैसला नहीं हो सका लेकिन 8 नवंबर तक का अल्टीमेटम दे रही हार्दिक पटेल की टीम ने अब और वक्त मांगा है। मीटिंग में कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के दूत कपिल सिब्बल शामिल हुए जबकि हार्दिक की तरफ से उनकी टीम बैठी। एक फॉर्मूले पर चर्चा हुई लेकिन दोनों ही खेमों ने मीडिया को फार्मूला बताने से इनकार कर दिया।

इस बीच बड़ी खबर ये है कि अब तक आर्थिक आरक्षण की बात मानने को तैयार बैठे हार्दिक की टीम ने अब ईबीसी को खारिज कर दिया है। हार्दिक पटेल की तरफ से आये लोगों ने साफ कर दिया कि वो ये तो नहीं बताएंगे की मीटिंग में क्या हुआ लेकिन इतना जरूर कहा कि उन्हें ईबीसी यानी इकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लास मंजूर नहीं है। हार्दिक पटेल ये संकेत दे रहे थे कि वो आर्थिक आरक्षण की बात पर राज़ी हो सकते हैं लेकिन आज उसे खारिज कर दिया।

सिब्बल ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कांग्रेस और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) सदस्यों के बीच आज हुई बैठक से उम्मीद जगी है कि हम आगे एक साथ काम कर सकते हैं।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमने सभी पहलुओं पर चर्चा की और सब कुछ (पाटीदार समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए) संविधान के तहत करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि वह अगले दो-तीन दिन में फिर मुलाकात करेंगे। सिब्बल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगले दो से तीन दिन में मामला पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा।’’

पीएएएस के सदस्यों ने गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में पाटीदार समुदाय को आरक्षण देने की रूपरेखा पर चर्चा करने के लिए सिब्बल से मुलाकात की थी। मुलाकात रात नौ बजे होनी थी लेकिन सिब्बल देर से पहुंचे थे।

पाटीदार कोटा आंदोलन के प्रमुख हार्दिक ने पहले मांग रखी थी कि यदि कांग्रेस शिक्षण संस्थानों एवं सरकारी नौकरियों में समुदाय को आरक्षण देने के प्रति प्रतिबद्धता जताती है तो ही वह आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करेंगे। कल बैठक के दौरान हार्दिक मौजूद नहीं थे। उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर फैसला करने के लिए कांग्रेस को सात नवंबर तक का समय दिया था। राज्य में दो चरणों में विाानसभा चुनाव नौ और 14 दिसंबर को होंगे और मतगणना 18 दिसंबर को होगी।

हार्दिक पटेल इससे पहले दो बार डेडलाइन बढ़ा चुके हैं। कल आधी रात को जब हार्दिक के समर्थक कांग्रेस के साथ टेबल पर बैठे तो एक बार फिर डेडलाइन बढ़ा दी। हार्दिक की टीम अब इस गोपनीय फार्मूले को लेकर वकीलों और रिटायर्ड जजों से राय लेगी। इस फार्मूले को पाटीदार समाज के दूसरे लोगों के सामने भी रखा जाएगा उसके बाद ही हार्दिक कुछ तय करेंगे। पहले चरण के चुनाव में ठीक तीस दिन का वक्त बचा है इस बीच कांग्रेस की उम्मीदें अब केवल हार्दिक पर टिक गई हैं।

इसके पहले 30 अक्टूबर को भी कांग्रेस ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल और अन्य नेताओं के साथ बैठक की थी। कांग्रेस ने 'पास' की पांच में चार मांगों पर सहमति जताई थी, लेकिन आरक्षण को लेकर पेच फंस गया था। कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि कानून के जानकारों से राय लेने के बाद ही पार्टी पाटीदार आरक्षण पर कोई फैसला लेगी।

कांग्रेस और 'पास' के बीच पाटीदारों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के केस वापस लेने, पाटीदार आंदोलन में शहीद हुए हर शख्स के परिवार को 35 लाख रुपए देने, पीड़ित परिवार के एक शख्स को सरकारी नौकरी और पाटीदारों को लेकर बनाए गए आयोग को 600 करोड़ से 2 हजार करोड़ तक ले जाने के मुद्दों पर सहमति पहले ही बन चुकी है।

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