नई दिल्ली: सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती किए जाने पर कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में ‘हार सामने देखकर’ और जनता की भारी नाराजगी की वजह से नरेंद्र मोदी सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में ‘‘नाममात्र’’ कमी की है।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने ‘हजारों घाव’ देने के बाद अब ‘बैंड-एड’ लगाया है और जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पांच राज्यों में चुनावी हार को सामने देख और जनता के भयंकर गुस्से से घबराकर मोदी सरकार ने मामूली मात्रा में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उत्पाद शुल्क कम करने की घोषणा की। मोदी जी आप जनता का बेवकूफ अब नहीं बना सकते। आपको पेट्रोल-डीजल की लूट पर जवाब देना पड़ेगा।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘गत 52 महीने में मोदी सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क के नाम पर देश की जनता की जेब काटकर 13 लाख करोड़ क्यों लूटा? उत्पाद शुल्क में 52 महीने में 12 बार इजाफा क्यों किया? ’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘मोदी जी और जेटली जी, क्या आप भूल गए कि कच्चे तेल की कीमत कांग्रेस सरकार में औसतन 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रही। 2008 में जब कांग्रेस की सरकार थी और जब आप गैस सिलेंडर और पेट्रोल पंप पर विरोध करते थे तो कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल तक गई। आज तो 86 डॉलर पहली बार पहुंची है और आप आज ही दुहाई दे रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब 107 डॉलर कच्चे तेल की कीमत थी तो पेट्रोल की कीमत 71 रुपया 41 पैसे प्रति लीटर थी और डीजल की कीमत 55 रुपया 49 पैसे लीटर थी, जो आज क्रमश: 84 रुपया और 75 रुपया को पार कर गई है। इसका जवाब कब देंगे?’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ मोदी जी ये जवाब देना पड़ेगा कि जहाँ आप भारत के लोगों के ऊपर अनाप-शनाप पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बोझ डाल रहे हैं, आप 29 देशों को सस्ता पेट्रोल और डीजल क्यों बेच रहे हैं? ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मई, 2014 में गैस सिलेंडर 414 रुपए का था और मोदी सरकार में इसे 879 रुपये का कर दिया गया। इसका मतलब यह है कि 52 महीने में 414 रुपए का सिलेंडर 879 रुपए का किया है, 465 रुपए का इजाफा। 465 रुपये 52 महीने में बढ़ा दिए, 112 प्रतिशत से भी अधिक कीमतों में इजाफा।’’
सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक व्यवस्था के तहत 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की। इसमें 1.50 रुपये की कमी उत्पाद शुल्क में कटौती से हुई है, जबकि पेट्रोलियम का खुदरा कारोबार करने वाली सरकारी कंपनियों को एक रुपये प्रति लीटर का बोझ वहन करने के लिए कहा गया है।