नई दिल्ली: भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर सहमति के करीब पहुंच गया है क्योंकि महादलित नेता जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले आरएलएसपी ने इस संबंध में फैसला लेने का हक भगवा दल को सौंप दिया है। सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत के बारे में भाजपा के सूत्र चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन उसके सहयोगी दलों का कहना है कि राज्य विधानसभा की 243 सीटों में से उनके लिए करीब 73 से 83 सीटें छोड़ी जा सकती हैं। भाजपा 160 से 170 सीटों के बीच कहीं चुनाव लड़ सकती है।
सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में अगले एक दो दिन में घोषणा की जा सकती है। अपने मतभेद दूर करने के प्रयास तेज करते हुए भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कुशवाहा और मांझी के साथ अलग अलग मुलाकात की। वह बाद में एलजेपी प्रमुख राम विलास पासवान से भी मिले। आरएलएसपी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है। कुशवाहा ने शाह को भेजे एक पत्र में उनकी पार्टी को दी जाने वाली सीटों के बारे में फैसले का अधिकार भाजपा अध्यक्ष को सौंप दिया। कुशवाहा ने कहा हमारी प्राथमिकता बिहार में फिर से प्राण फूंकना और इसका विकास करना है और सीटों के बंटवारे जैसे मुद्दे हमारे उद्देश्य तक पहुंचने के रास्ते में नहीं आने चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मोदी और शाह जो भी फैसला करेंगे, हमें मंजूर होगा।
सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार करते समय हम :सेक्यूलर: पार्टी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए जाने की गुहार लगाते हुए मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी के मौजूदा विधायकों की संख्या 12 है जबकि एलजेपी और आरएलएसपी के पास एक भी विधायक नहीं है। सूत्रों ने कहा कि मांझी के राजग में आने से गठबंधन को चुनावों के लिहाज से अहम महादलित समुदाय में पैठ बनाने का मौका मिलेगा, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ठोस मताधार माना जाता है। पासवान भी कह चुके हैं कि वह सीटों के बंटवारे का मामला भाजपा पर छोड़ते हैं।