नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बागपत से लोकसभा सांसद सत्यपाल सिंह को आखिरकार मोदी कैबिनेट में जगह मिल गई है। सत्यपाल सिंह को मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री और जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री बनाया गया है। जानकारों की मानें, तो बीजेपी उनके सहारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने मजबूत जनाधार को बचाए रखने की कोशिश में लगी हुई है। सत्यपाल सिंह ने लोकसभा चुनावों में कद्दावर जाट नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह को पटखनी दी थी। सत्यपाल सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाने की वजह से जाटलैंड में बीजेपी की मजबूत पकड़ बरकरार रह सकती है।
बागपत के बसौली में हुआ था जन्म
सत्यपाल सिंह का जन्म बागपत के बसौली नामक गांव में हुआ था। इन्होंने रासायन विज्ञान में एमएससी और एमफिल किया है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से रणनीतिक प्रबंधन में MBA भी कर चुके हैं, साथ ही पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में MA और नक्सलवाद में PhD कर चुके हैं। 61 वर्षीय सत्यपाल सिंह 1980 में IPS जॉइन करने से पहले वैज्ञानिक बनना चाहते थे।1980 बैच के IPS हैं सत्यपाल
सत्यपाल सिंह आंतरिक मामलों पर बनी संसदीय स्थाई समिति के सदस्य हैं। वह ‘ऑफिसेज ऑफ प्रॉफिट’ पर बनी जॉइंट कमिटी के चेयरपर्सन हैं। सत्यपाल सिंह ने 1980 में महाराष्ट्र कैडर से IPS के तौर पर सिविल सर्विस जॉइन की थी। 1990 के दौर में मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के नक्सली इलाकों में काम करने के लिए भारत सरकार ने इन्हें 2008 में में आंतरिक सुरक्षा सेवा मेडल से भी नवाजा था।
'माफिया राज' की कमर तोड़ी
सत्यपाल सिंह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर भी रहे हैं। सिंह को 1990 के दशक में मुंबई में तेजी से बढ़ रहे गैंग्स, जिनमें छोटा शकील और अरुण गवली के गैंग भी शामिल हैं, की कमर तोड़ने के लिए भी जाना जाता है। सत्यपाल सिंह ने कई ‘बेस्टसेलर’ किताबें भी लिखीं हैं, जिनमें कुछ जनजातीय संघर्ष और नक्सलवाद पर आधारित हैं। वह वैदिक अध्ययन और संस्कृत के जानकार हैं। साथ ही भ्रष्टाचार, धार्मिक सद्भाव और आध्यात्म जैसे विषयों पर इनकी अच्छी पकड़ है।