नई दिल्ली. भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ‘घर-घर राशन’ पहुंचाने की योजना पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को उचित ठहराते हुए रविवार को दावा किया कि ऐसा कर उसने एक ‘‘बड़े घोटाले’’ को होने से रोक लिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस योजना के जरिए दिल्ली सरकार की मंशा गरीबों के नाम पर मिले राशन को ‘‘डायवर्ट’’ कर घोटाला करने की थी। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने डिजिटल माध्यम से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज यह घोटाला होने से रुक गया। मुझे लगता है कि दिल्ली की जनता के लिए बहुत राहत का विषय है।’’
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने आज ही केंद्र सरकार पर ‘घर-घर राशन’ योजना को रोकने का आरोप लगाया और कहा कि इसे अगले हफ्ते से लागू करने की सारी तैयारियां पूरी हो गई थीं लेकिन दो दिन पहले केंद्र सरकार ने योजना पर रोक लगा दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश 75 साल से राशन माफिया के चंगुल में है और गरीबों के लिए कागज़ों पर राशन जारी होता है। मुख्यमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए पात्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने इस प्रकार से बात रखी है मानो मोदी सरकार दिल्ली की जनता को उनके अधिकार से वंचित रख रही है, जबकि ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खद्यान्न सुरक्षा कानून और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना द्वारा अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी जरूरतमंदों को राशन पहुंचाया जा रहा है। पात्रा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गेहूं पर दिल्ली सरकार मात्र दो रुपये प्रति किलो अदा करती है जबकि केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो। इसी प्रकार चावल पर राज्य सरकार मात्र तीन रुपये प्रति किलो और केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो अदा करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल जी इसके अतिरिक्त भी राशन बांटना चाहते हैं तो इसके लिए वह राशन खरीद सकते हैं। जो अधिसूचित दर हैं, उसपर राशन खरीदा जा सकता है। इसपर किसी प्रकार की आपत्ति केंद्र सरकार को या किसी को नहीं होगी।’’ पात्रा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत मई और पांच जून तक दिल्ली को तय कोटे से अधिक 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा गया है लेकिन दिल्ली सरकार अभी तक करीब 53,000 मीट्रिक टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वह जनता को बांट पाई है।
दिल्ली सरकार की ‘घर-घर राशन’ योजना पर सवाल उठाते हुए भाजपा नेता ने दावा किया कि राजधानी में राशन वितरण के लिए आधार कार्ड प्रमाणीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) कम्प्यूटरीकृत प्रणाली लागू है जबकि छोटे से छोटे राज्यों में भी दोनों व्यवस्था लागू है। पात्रा ने सवाल किया कि राशन उचित व्यक्ति तक पहुंच रहा है कि नहीं यह कैसे पता चलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें मालूम ही नहीं होगा कि राशन किसको दिया जा रहा है। मैं तो कहूंगा कि घोटाला होते-होते रुक गया। केजरीवाल राशन को डायवर्ट करना चाहते थे। वह बहुत बड़ा घोटाला करना चाहते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘’’जिस व्यक्ति तक राशन पहुंचना चाहिए उस व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगा, न जाने किसके पास पहुंच जाता। न आधार कार्ड प्रमाणीकरण है और न ही ई-पीओएस व्यवस्था।’’
पात्रा ने दावा किया कि यदि केंद्र सरकार ने इस योजना को हरी झंडी दे दी होती तो दिल्ली की जनता को आठ से दस गुना ज्यादा दर पर गेहूं और चावल मिलता। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने ‘‘वन नेशन-वन राशन’’ कार्ड के प्रावधान को भी आगे बढ़ाने से मना कर दिया, जिस कारण हजारों मजदूर आज राशन लेने से वंचित रह गए हैं।
राशन की दुकानों को केजारीवाल द्वारा ‘सुपरस्प्रेडर’ (महामारी के अत्यधिक प्रसार वाली जगह) बताने पर आपत्ति जताते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि धरने पर बैठे किसान उन्हें ‘‘सुपरस्प्रेडर’’ नहीं लगते लेकिन दुकानदार उन्हें ‘‘सुपरस्प्रेडर’’ लगते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल विज्ञापन, दोषारोपण, श्रेय लेने, नाटक करने और बहाने बनाने की राजनीति करते हैं तथा इस वजह से कोरोना संकट के दौरान वह ऑक्सीजन, बिस्तर, वेंटिलेटर सहित अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में विफल रहे।