नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की गुरुवार को आलोचना की। भागवत ने कहा कि फैसला दोषपूर्ण है क्योंकि इसमें सभी पहलुओं पर विचार नहीं किया गया और इसलिए इसे सहजता से स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भागवत ने रेशिमबाग में विजयादशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वंयसेवकों से कहा, "यह फैसला सभी पहलुओं पर बिना विचार किए लिया गया, इसे न तो वास्तविक व्यवहार में अपनाया जा सकता है और न ही यह बदलते समय व स्थिति में नया सामाजिक क्रम बनाने में मदद करेगा।"
भागवत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले की वजह से सबरीमाला में बुधवार को जो स्थिति दिखाई दी, उसका कारण सिर्फ यह है कि समाज ने उस परंपरा को स्वीकार किया था और लगातार कई सालों से पालन होती आ रही परंपरा पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "लैंगिक समानता का विचार अच्छा है। हालांकि, इस परंपरा का पालन कर रहे अनुयायियों से चर्चा की जानी चाहिए थी। करोड़ों भक्तों के विश्वास पर विचार नहीं किया गया।"
वहीं इस मुद्दे पर सबरीमाला संरक्षण समिति ने आज 12 घंटे राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया जिसका मिला जुला असर देखने को मिल रहा है। बंद के कारण बसें और ऑटोरिक्शा सड़कों से नदारद रहे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पत्तनमतिट्टा जिले में स्थित सबरीमला पहाड़ी पर जाने के तीनों मुख्य रास्तों पम्बा, निलक्कल और एरूमेली सहित विभिन्न जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों से केरल राज्य परिवहन निगम की बसों पर पथराव की सूचना है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में निजी वाहन चल रहे हैं।
बीजेपी, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और अन्य स्थानीय संगठनों ने इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। यह हड़ताल श्रद्धालुओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में बुलाई गई है। वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि वह इस हड़ताल में शामिल तो नहीं होगी लेकिन पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेगी। प्रदेश के निल्लकल, पंपा, एल्वाकुलम, सन्निधनम में धारा-144 लागू कर दी गई है। इस इलाके में एकसाथ चार से ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते हैं।