नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इन्द्रेश कुमार ने कहा कि धारा 370 को हटाने से भारत की कीर्ति और यश बढे़गा। देश का भविष्य बदलेगा और नई दशा और दिशा की ओर बढे़गा। युवा दिवस के मौके पर जयपुर में उन्होंने युवाओं से कहा कि स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या कुछ राजनीतिक परिवारों की देन है जिन्होंने अपने फायदे के लिए वहां के लोगों को हिन्दुस्तान के खिलाफ भड़काया।
उन्होंने कहा कि आज केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण आतंकवाद में कमी आई है। अलगाववादी नेता जेलों में है। उनके द्वारा पोषित युवाओं को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों में सफलता मिल रही है। कश्मीर में भी पाकिस्तान के विरूद्ध आंदोलन खड़े होने लगे हैं। इसलिए अब धारा 370 का कोई महत्व नहीं रह जाता है।
क्या है अनुच्छेद 370
- संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रबंध के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता है।
- 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
- शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।
- संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए।
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
- भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है।
- यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
- अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है।
- 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
वहीं अयोध्या में राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या का मुसलमान भी नहीं चाहता की वहां पर मस्जिद का निर्माण हो, क्योंकि मस्जिद के निर्माण के लिए पांच नियमों का प्रावधान है। जिसमें उल्लेख है कि मस्जिद के लिये जमीन दान में मिले या अपने पैसे से खरीदी जाये। किसी दूसरे धर्म का चिन्ह या निर्माण वहां नहीं हुआ हो और व्यक्ति के नाम पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि शिया और सुन्नी का कब्जा अनैतिक है। अयोध्या के मुसलमान मानते है कि उनके पूर्वजों से गलती हुई है। बाबर के नाम पर मस्जिद की आवश्यकता नहीं है।