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RSS के लिए अब राम मंदिर निर्माण नहीं, कश्मीर है प्राथमिकता: शिवसेना

शिवसेना ने शनिवार को एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नया रुख यह है कि राम मंदिर मुद्दे को अस्थायी तौर पर किनारे रखा जाए और पुलवामा हमले के बाद पैदा हुए हालात के मद्देनजर कश्मीर के मुद्दे को ‘‘प्राथमिकता’’ दी जाए, क्योंकि यह देश में मौजूदा विमर्श के अनुकूल है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 23, 2019 16:57 IST
uddhav thackeray- India TV Hindi
uddhav thackeray

मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नया रुख यह है कि राम मंदिर मुद्दे को अस्थायी तौर पर किनारे रखा जाए और पुलवामा हमले के बाद पैदा हुए हालात के मद्देनजर कश्मीर के मुद्दे को ‘‘प्राथमिकता’’ दी जाए, क्योंकि यह देश में मौजूदा विमर्श के अनुकूल है। शिवसेना ने कहा कि चूंकि कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों का प्रस्तावित महागठबंधन देश में कभी स्थिरता और शांति नहीं ला सकता, इसलिए आरएसएस का बदला हुआ रवैया एक तरह से देश के लिए अनुकूल है।

हालांकि, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में दावा किया कि पिछले पांच साल में पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रचारित किए गए उस नारे को दोहराने की जरूरत पर भी सवाल उठाए जिसमें ‘‘स्थिर सरकार और एक मजबूत प्रधानमंत्री’’ चुनने की बात कही गई थी। शिवसेना ने पुलवामा जैसी घटनाएं रोकने के लिए देश में एक स्थिर सरकार की जरूरत बताई।

बीते 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर हुए फिदायीं हमले में इस अर्धसैनिक बल के कम से कम 40 जवान शहीद हुए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन तय करने और सीटों के बंटवारे पर समझौता होने के कुछ दिनों बाद लिखे गए इस संपादकीय में शिवसेना ‘‘पहले मंदिर, फिर सरकार’’ के अपने पहले के रुख से पलटती हुई नजर आई और अब उसने कहा है कि ‘‘भगवान से ज्यादा महत्वपूर्ण देश होता है।’’ हालांकि, शिवसेना ने सवाल किया कि क्या राम मंदिर 2019 के चुनावों के बाद भी बनेगा।

शिवसेना ने कहा, ‘‘संघ परिवार ने राम मंदिर के मुद्दे को किनारे रखकर पुलवामा और कश्मीर जैसे विषयों पर ध्यान देने का फैसला किया है। आरएसएस का यह भी मानना है कि कश्मीर की समस्याएं सुलझाने के लिए देश को एक मजबूत और स्थिर सरकार की जरूरत है।’’ संपादकीय के मुताबिक, संघ का मानना है कि आतंकवाद को तब तक नहीं हराया जा सकता जब तक केंद्र में स्थिर सरकार और एक मजबूत प्रधानमंत्री नहीं होगा।

शिवसेना ने एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि संघ अब चाहता है कि उसके स्वयंसेवक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बारे में बात करने की बजाय पुलवामा हमले के बारे में लोगों को जागरूक करें। पार्टी ने कहा, ‘‘अब आरएसएस को लग रहा है कि लोगों का ध्यान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मुद्दों से हटाकर कश्मीर और पुलवामा जैसे मुद्दों और एक स्थिर सरकार चुनने की तरफ आकृष्ट किया जा सकता है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार पिछले पांच साल में पाकिस्तान पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। शिवसेना ने कहा, ‘‘कश्मीर के मौजूदा हालात पिछले 70 साल के पहले से भी ज्यादा खराब हैं। कश्मीरी पंडितों की ‘घर वापसी’ के बारे में तो भूल ही जाएं, अब मुस्लिम युवा भी रोजगार की तलाश में कश्मीर से पलायन कर रहे हैं।’’ पार्टी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर आतंकवाद के प्रभाव के कारण नौकरियों का अभाव हो गया है। आतंकवाद के कारण अब कश्मीरी नौजवान रोजगार की तलाश में कश्मीर से बाहर जाने लगे हैं।

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