कोलकाता: गुजरात के निर्दलीय विधायक एवं दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने रविवार को कहा कि सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया करने का केंद्र का फैसला जातिगत आरक्षण खत्म करने के आरएसएस-भाजपा के एजेंडे को साकार करने की दिशा में एक कदम है।
मेवानी ने यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा कि संविधान को खारिज करने और जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने का आरएसएस-भाजपा का यह काफी समय से लंबित एक एजेंडा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक-शैक्षणिक आधार पर आरक्षण को खत्म करने की दिशा में यह एक कदम है।
दलित नेता ने कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को प्रतिनिधित्व देने के लिए देश में आरक्षण की व्यवस्था लाई गई थी। इसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन करना नहीं था। उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के गरीब लोगों को कोई फायदा मिलने से हमें कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन आरक्षण का उद्देश्य गरीबी दूर करना नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य एससी/एसटी/ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व देना है, जो सामाजिक संरचना के चलते सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया करने वाले संविधान संशोधन विधेयक को शनिवार को अपनी मंजूरी दे दी।
मेवानी ने भाजपा के खिलाफ बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच उत्तर प्रदेश में हुए गठबंधन की सराहना करते हुए कहा कि अन्य विपक्षी पार्टियों को भी इस गठबंधन से सीख लेनी चाहिए तथा भाजपा विरोध वोटों को अधिक से अधिक एकत्र करने की कोशिश करनी चाहिए।