Monday, December 23, 2024
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राजस्थान: कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर, अब निकाय चुनाव को लेकर आमने-सामने आए गहलोत और पायलट!

राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद से ही सूबे में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा ‘शीत युद्ध’ थमने का नाम नहीं ले रह है। पार्टी में इस समय गुटबाजी चरम पर है। 

Reported by: Manish Bhattacharya @Manish_IndiaTV
Published : October 18, 2019 19:26 IST
Gehlot Pilot
Image Source : ANI File Photo

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद से ही सूबे में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा ‘शीत युद्ध’ थमने का नाम नहीं ले रह है। पार्टी में इस समय गुटबाजी चरम पर है। अब हालात ये हैं कि पार्टी के नेताओं ने खुलकर एक दूसरे की खिलाफत शुरू कर दी है। ताजा मामला है निकाय चुनावों को लेकर लिए गए फैसले से जुड़ा है।

दरअसल गहलोत सरकार ने अपने पूर्व के फैसले को पलटते हुये घोषणा की कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष रुप से होंगे। उसके बाद महज एक हफ्ते के भीतर गहलोत ब्रिगेड के खासमखास यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने जयपुर ,कोटा, जोधपुर में दो नगर निगम-दो मेयर का निर्णय ले लिया।

सचिन पायलट को व्यवहारिक नहीं लगा फैसला

इस फैसले का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वागत भी किया और सही करार दिया लेकिन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने साफ जुबान मे कह दिया कि ये फैसला व्यवहारिक नहीं है और न ही इस फैसले को लेने से पहले कैबिनेट में चर्चा की गयी, न पार्टी स्तर पर पूछा गया। लिहाजा मंत्रालय स्तर के इस फैसले से वो सहमत नहीं है। सचिन पायलट के इस बयान के बाद कांग्रेस के नेताओं मे खलबली मच गयी है।

कुछ मंत्रियों ने कहा फैसले पर होना चाहिए पुनर्विचार

गहलोत सरकार के इस फैसले को लेकर पार्टी मे एक धड़ा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साथ है, लेकिन दूसरा धड़ा उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ है। एक दिन पहले ही प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावस व खाद्य व आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने बयान दिया कि निकाय प्रमुख चुनाव को लेकर फैसला लिया गया, उसके बारे में उनको जानकारी ही नहीं है। इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिये।

धारीवाल बोले विरोध मायने नहीं रखता

इस मसले पर जब इंडिया टीवी ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से पूछा तो उन्होंने कहा विरोध मे मंत्रियों की संख्या ही कितनी है, इसलिये वो मायने नहीं रखती है। आज जब दो नगर निगम व दो मेयर का फैसला लिया गया तो यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और कांग्रेस नेता महेश जोशी साथ नजर आये। फैसले के कुछ ही मिनट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसले का स्वागत किया लेकिन उपमुख्यमंत्री इस फैसले के विरोध मे नजर आये।

आखिरी क्यों लिया गया अप्रत्यक्ष रूप से निकाय चुनाव कराने का फैसला?

बता दें कि इससे पूर्व की गहलोत सरकार ने नगर निकाय व निगम चुनावों को प्रत्यक्ष रुप से कराने का फैसला लिया था, जिसमें जयपुर की महापौर ज्योति खण्डेलवाल बनी थीं। भाजपा सरकार ने आते ही इस फैसले का विरोध किया और अप्रत्यक्ष रुप से यानी पार्षदों द्दारा मेयर चुनने के फैसले को सही करार दिया।

लेकिन अब जब कांग्रेस पार्टी  दोबारा सत्ता मे आई तो क्या वजह रही की अपने ही फैसले को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलट दिया। दरअसल इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कश्मीर से  370 हटाये जाने के बाद जो माहौल है, उसमें गहलोत सरकार राजस्थान में कहीं न कहीं घबरा रही है।

वहीं दो नगर निगम व दो मेयर बनाने का फैसला भी ऐसे वक्त पर लिया गया जिस समय अयोध्या राम मंदिर का फैसला आने वाला है। सूत्रों की मानें तो गहलोत सरकार को लगता है कि इस फैसले का असर कहीं न कहीं निकाय चुनावों पर पड़ सकता है, जिससे नगर निगम व निकाय चुनावों मे हार का मुंह देखना पड़ जायेगा।

लिहाजा ये फैसला लिया गया कि दो मेयर व दो नगर निगम अब तीन जिलों मे होंगे तो नवंबर में जयपुर, जोधपुर, कोटा नगर निगम चुनाव नहीं कराने होंगे। गहलोत सरकार के कुछ नेता भले ही इसे मास्टर स्ट्रोक मान रहे हो लेकिन उपमुख्यमंत्री सचिन की मुखरता मुख्यमंत्री गहलोत के माथे पर शिकन पैदा कर रही है।

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