नई दिल्ली: पांच राज्यों में चुनावी नतीजों के बाद अब सरकार बनाने की कवायद तेज़ हो गई है। मध्य प्रदेश में सभी 230 सीटों के नतीजे आ गए हैं लेकिन 114 सीट हासिल करने वाली कांग्रेस पूर्ण बहुमत से दो सीट कम है जबकि बीजेपी ने 109 सीटें जीती हैं। ऐसे में कांग्रेस की नजर अब चार निर्दलीय विधायकों पर टिकी हैं। बता दें कि ये चारो निर्दलीय कांग्रेस के ही बागी उम्मीदवार हैं। इन राज्यों के नतीजों ने कांग्रेस में नया जोश भर दिया है और अब वो 2019 में भी बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ ताल ठोंकने का दम भर रही है।
देश के दिल कहे जाने वाले हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में जिस तरह से कांग्रेस को जीत मिली है यकीनन इसने हाशिये पर जा रही पार्टी में ऊपर से नीचे तक नया जोश भर दिया है और यही वजह है कि अब पार्टी 2019 के चुनाव में भी बीजेपी को शिकस्त देने की चुनौती दे दी है। राहुल गांधी के लिये तीन राज्यों में मिली ये जीत बड़े मायने रखती है। एक साल पहले ही 11 दिसंबर को उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने पार्टी में नई जान फूंकने, खुद को बदलने और ज़्यादा आक्रामक तरीके से प्रचार का काम शुरू किया।
इसमें उन्हें पहली बड़ी सफलता मिल गई है। अब उनके नेतृत्व पर वैसी टीका टिप्पणी नहीं हो सकेगी जिसकी अब तक चर्चा होती आई है। अब यह तय है कि 2019 के चुनाव में राहुल ही मोदी को चुनौती देने वाला चेहरा होंगे। जिस वक्त राहुल की ताजपोशी हुई थी तब लगातार 26 हार की नाकामी छिपी थी। राहुल गांधी की छवि ऐसी थी कि वो अपनी मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की छत्रछाया में ही राजनीति करते हैं लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी कांग्रेस का रोडमैप तय करने में जुट गए।
एक तरफ कांग्रेस इस जीत को राहुल और उनके नेतृत्व की जीत से जोड़कर देख रही है वहीं वो इसे मोदी सरकार की नीतियों की हार से भी जोड़कर देख रही है लेकिन बीजेपी ने इस बात से इनकार किया है। पार्टी का कहना है कि विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं वहीं 2019 के चुनाव केंद्र सरकार के बेहतर काम पर लड़े जायेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘’2019 का चुनाव केंद्र सरकार की परफामेंस पर होगा, वो किसी मुख्यमंत्री या राज्य सरकार को लेकर होगा..वो मोदी जी के काम पर होगा।‘’
इसमें दो राय नहीं कि कांग्रेस अब 2014 वाले हालात से उबर चुकी है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी 2018 का करिश्मा 2019 में दिखा पाएंगे। जिन पांच राज्यों के नतीजे आए हैं उनमें लोकसभा की 83 सीटें हैं। इनमें से 63 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि सिर्फ 6 पर कांग्रेस है लेकिन इन्हीं सूबों में आए विधानसभा नतीजों की कसौटी पर अगर लोकसभा चुनाव को परखा जाए तो...
-अगर आज लोकसभा चुनाव हुए, तो पांच राज्यों की जिस 83 लोकसभा सीटों में से 63 पर बीजेपी काबिज है, वो घटकर 28 सीट पर पहुंच जाएंगी
-कांग्रेस की सीटें बढ़कर 38 हो जाएंगी और अन्य की तादाद भी बढ़कर 17 हो जाएगी
-इस हिसाब से बीजेपी को 35 सीटों का भारी नुकसान हो सकता है
लेकिन बीजेपी को मोदी की करिश्माई इमेज पर अब भी यकीन है, इसीलिए राज्यों की हार को 15 साल की सत्ता विरोधी लहर से जोड़ कर देख रही है। भले ही मोदी के खिलाफ नाराजगी न हो लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार गंवाने वाली बीजेपी के लिए फिक्र की वजह उस हिंदी बेल्ट का होना है जहां बीजेपी की सियासत दम खम रखती आई है।