पटना: कांग्रेस की लहर के दौरान 1969 में एमएलए बने रामविलास पासवान ने कहा कि हम जिस पार्टी के साथ होते हैं, वह जीतती है। यह कहना बिल्कुल गलत है कि हम जीत के बाद किसी पार्टी को समर्थन देते हैं। देश के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने वाले पासवान ने बताया कि साल 2005 में सोनिया गांधी आई थीं, इसलिए उन्होंने यूपीए का साथ दिया। पासवान ने कहा कि जिस किसी को भी 10 साल आगे का पता न हो, उसे राजनीति में कभी नहीं आना चाहिए।
पासवान बोले कि लोग 2002 की बात करते हैं, लेकिन उससे पहले लोगों को इमरजेंसी की याद नहीं रहती। ये सारे लोग उस पार्टी का साथ दे रहे हैं, जिसने इमरजेंसी लगाई थी। उन्होंने कहा कि वो सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन आत्मसम्मान पर ठेस कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते। लालू प्रसाद यादव को किसी का सम्मान करना नहीं आता...क्योंकि उसका एक हाथ पांव पर और एक गर्दन पर रहता है। लालू और नीतीश किसी का सम्मान नहीं करते। पासवान ने कहा, “चिराग पासवान ने कहा कि वो लालू के साथ रहकर राजनीति की शुरुआत नहीं कर सकते। साल 2010 में हम अकेले चुनाव लड़ते, तो हम जीत जाते। लालू यादव कहते हैं कि सोनिया गांधी को कहकर हमने राम विलास पासवान को मकान दिलवाया था। लेकिन लालू के कारण सोनिया गांधी ने कभी राज्य सभा की सीट भी नहीं दी।”
चिराग पासवान के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “चिराग पासवान को रामविलास पासवान की जरूरत नहीं है। वो मेरा मोहताज नहीं है। वह काफी पॉपुलर हैं। संसदीय चुनाव के दौरान हमारी तबियत खराब हो गई थी। उस समय महाराजगंज का चुनाव चल रहा था..वहां से प्रभुनाथ सिंह जी खड़े हुए थे.....चिराग की फिल्म चल रही थी। अन्त में पार्टी के लोगों ने कहा कि चिराग को भेज दीजिए। जब चिराग वहां पहुंचे तो लोग चिराग चिराग चिल्लाने लगे। लालू यादव का मुंह खुला का खुला रह गया। चिराग ने वहा कहा कि लालू जी हमारे पिता तुल्य हैं, लेकिन लालू ने उसका एक बार नाम तक नहीं लिया।”