अहमदाबाद: कई दिन के नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए तैयार है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव और प्रभावशाली नेता अहमद पटेल समेत अन्य के भविष्य का फैसला होना है।
गुजरात में करीब दो दशक के बाद राज्यसभा का चुनाव हो रहा है। यहां से बड़े दलों के अधिकृत प्रत्याशी निर्वरिोध निर्वाचित हो जाते थे लेकिन इस बार भाजपा ने पांचवें कार्यकाल के लिए किस्मत आजमा रहे पटेल के सामने अपने उम्मीदवार को उतार दिया है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने यहां तीन राज्यसभा सीटों के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंत सिंह राजपूत को उतारा है। राजपूत हाल तक सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे। शाह और ईरानी का उच्च सदन में पहुंचना तय माना जा रहा है लेकिन राजपूत को जिताने और पटेल को हराने के लिए भाजपा को अतिरिक्त वोट हासिल करने होंगे।
पटेल ने आज बेंगलूरू प्रवास से लौटे कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की। उन्होंने अपनी जीत का भरोसा जताया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, यह चुनाव किसी की प्रतिष्ठा से नहीं जुड़ा। मुझे अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है। कांग्रेस के इन 44 विधायकों के अलावा राकांपा के दो और जदयू के एक विधायक मेरे लिए वोट देंगे। इन विधायकों को अब आणंद जिले के एक रिसॉर्ट में रखा गया है। करीब डेढ़ दशक से अधिक समय से राज्य की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस हाल ही में पार्टी के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला के पार्टी छोड़ने से स्तब्ध रह गयी थी।
इसके बाद राजपूत समेत छह विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा देकर कांग्रेस को और झटका दे दिया। इनमें से तीन विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गये। राजपूत, वाघेला के रिश्तेदार हैं। गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्यसभा की चुनावी जंग ने सियासी सरगर्मियां काफी बढ़ा दी हैं।
अहमद पटेल को जीतने के लिए 45 मत चाहिए। उनकी पार्टी के पास वर्तमान में 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इनमें से कोई भी अगर क्रॉस वोटिंग नहीं करता है या उपयुक्त में से कोई नहीं नोटा विकल्प का प्रयोग नहीं करता है, उस स्थिति में भी कांग्रेस को पटेल की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक अतिरिक्त मत की जरूरत होगी।