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राहुल को अपनी युवा टीम बनाने का मौका मिले, पार्टी में आएगा नया जोश: मार्ग्रेट अल्वा

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्ग्रेट अल्वा का कहना है कि राहुल गांधी को अपनी ‘‘युवा टीम’’ बनाने का मौका दिया जाना चाहिए तभी कांग्रेस में नया दृष्टिकोण" और ‘‘नया जोश" आएगा।

Reported by: Bhasha
Published : July 19, 2020 17:18 IST
Rahul Gandhi
Image Source : FILE PHOTO Rahul Gandhi

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्ग्रेट अल्वा का कहना है कि राहुल गांधी को अपनी ‘‘युवा टीम’’ बनाने का मौका दिया जाना चाहिए तभी कांग्रेस में नया दृष्टिकोण" और ‘‘नया जोश" आएगा। राजस्थान में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बागी तेवरों से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर पांच बार सांसद और 1984 में राजीव गांधी सरकार में संसदीय राज्य मंत्री रह चुकीं अल्वा से ‘‘भाषा के पांच सवाल’’ और उनके जवाब।

सवाल: राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम का आप कैसे विश्लेषण करेंगी?

जवाब: कांग्रेस ने बहुमत वाली सरकार बनाई थी। सचिन पायलट को न सिर्फ उपमुख्यमंत्री बनाया गया, बल्कि चार महत्वपूर्ण विभाग दिए गए। प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बरकरार रखा गया। ऐसे समय में जब कोविड-19 जैसा संकट हमारे सामने है, सीमा पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है, देश में हलचल है और आप कह रहे हो मुझे मुख्यमंत्री बनाओ। क्या ये उचित है? क्या यह सही समय है? 25 साल की उम्र में वह कांग्रेस में शामिल हुए। 26 साल की उम्र में सांसद बने। दो बार केंद्रीय मंत्री रहे, प्रदेश अध्यक्ष बने, फिर उप मुख्यमंत्री बने। 25 से 41 साल तक की उम्र के सफर में क्या किसी और को इतना सबकुछ मिला है? अब आप बोल रहे हो कि मुझे मुख्यमंत्री बनाओ। अगर गहलोत साहब के साथ काम नहीं करना चाहते थे तो उपमुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र देकर बतौर प्रदेश अध्यक्ष काम कर सकते थे। ये सब करने की क्या जरूरत थी? मुझे लगता है कि किसी ‘‘स्टार’’ को धैर्यवान होना चाहिए। इतनी जल्दी में आप कहां पहुंचना चाहते थे। 42 साल की उम्र में मुख्यमंत्री और 45 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, आप भाजपा में जाकर।

सवाल: राजस्थान के इस घटनाक्रम से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी। कांग्रेस की एक ऐसी छवि बन रही है कि उसका नेतृत्व युवाओं को दरकिनार कर रहा है ताकि राहुल गांधी को पार्टी के भीतर कोई चुनौती न दे सके। क्या आप इससे सहमत हैं?
जवाब: सिंधिया को पार्टी का महासचिव बनाया गया था। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया। पार्टी इतनी बड़ी है। इतने राज्य हैं। हर किसी की मांग पूरी नहीं की जा सकती। मैं 1974 में पार्टी में आई। 1984 तक हम लोगों ने पार्टी और सरकार में काम किया। हम इंदिरा जी से या राजीव जी से नहीं बोल सकते थे कि हमको मंत्री बनाओ...। आप पढ़े लिखे हो, आपकी प्रसिद्धि है, सब ठीक है। लेकिन धैर्य भी तो होना चाहिए। 15 विधायक लेकर आप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। किसी ने मुझसे कहा कि अभी जितने जाते हैं, जाने दो। उधर जाकर गड़बड़ शुरू करेंगे जल्दी। अमित शाह जी ने ये नाटक शुरू किया है ‘‘आया राम, गया राम’’ का। वही इसके निर्देशक हैं। वक्त आएगा, ये जो सब छोड़कर भाग गए हैं, सब वापस आएंगे।

सवाल: क्या कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पार्टी आलाकमान की नहीं सुन रहे हैं?
जवाब: यह सच नहीं है। अगर मुख्यमंत्रियों को आजादी नहीं देते हैं तो आप ही हेडलाइन बनाते हैं कि कांग्रेस में क्षेत्रीय नेताओं को कोई आजादी नहीं है...सबकुछ दिल्ली से नियंत्रित हो रहा है कांग्रेस में...मुख्यमंत्रियों को कुछ करने नहीं दे रही है कांग्रेस। छत्तीसगढ़ हो या पुडुचेरी हो, सब जगह जहां हमारे मुख्यमंत्री हैं, वे अपना काम कर रहे हैं।

सवाल: आप कांग्रेस में संगठन से लेकर सरकार तक में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे तमाम शीर्ष नेताओं के साथ आपने काम किया है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति के बारे में क्या कहेंगी आप?
जवाब: मैं सीधा बोलती हूं। हमारे देश की आबादी देख लीजिए। 50 फीसद आबादी 25 साल से कम उम्र की है। युवा मतदाताओं की अपनी आकांक्षा है। हमारी पार्टी में आज जो वर्किंग कमेटी में बैठे हैं, जो तथाकथित ‘‘डिसिजन मेकर्स’’ हैं, उनकी उम्र क्या है। उनकी औसत उम्र क्या है? चार पांच को छोड़ दें तो सब 75, 80 और 85 के आसपास हैं। ये लोग तो राहुल जी को कभी आगे नहीं आने दे रहे हैं। मैं बोल रही हूं कि ये स्टेट लीडरशिप के साथ "टसल" नहीं है। दिल्ली में राहुल जी को अपनी युवा टीम बनाने के लिए छोड़ देना चाहिए। तब एक नया दृष्टिकोण और नया जोश आएगा पार्टी में। पार्टी के अंदर यदि कोई विवाद है तो उसका समाधान निकाला जाना चाहिए। अनुशासनात्मक समिति है...वर्किंग कमेटी है...महासचिव हैं। क्या कर रहे हैं सब? हर एक चीज सोनिया जी के सिर पर डालकर...आप लोग क्या कर रहे हो भैया। जब पांच राज्यों में राहुल जी के नेतृत्व में सरकार आई तब तो कुछ नहीं बोले, एक कहीं हार गया तो राहुल जी का हो गया...ये वरिष्ठ नेता कर क्या रहे हैं? आप नहीं कर सकते तो छोड़ दीजिए। युवाओं को सामने आने का मौका दीजिए।

सवाल: आपको नहीं लगता कि अब कांग्रेस का एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होना चाहिए? गांधी-नेहरू परिवार से बाहर किसी को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए?
जवाब: कोई भी अध्यक्ष पद के लिए खड़ा होना चाहता है तो खड़ा होने दीजिए...चुनाव होने दीजिए...कोई खड़ा होने को तैयार नहीं है। कोई नहीं चाहता है यह जिम्मेदारी लेना। किसने मना किया है? तीन उपाध्यक्ष बना दीजिए। मैंने कहा था उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर के लिए तीन उपाध्यक्ष बना दीजिए। उनको जिम्मेदारी दे दीजिए। युवाओं को दे दीजिए। वो भी नहीं मानने को तैयार हैं। मैंने देखा है। 1977 की हार के बाद सड़कों पर लड़ते थे हम लोग। आज सब कांग्रेस-कांग्रेस बोलते हैं। देश में क्या हो रहा है। पहले ऑल इंडिया रेडियो था, अब है ‘‘मन की बात’’। हर किसी को सुनना है। देश की आज हालत क्या है? अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति है? सारी दुनिया सैटेलाइट के हवाले से कह रही है कि चीन हमारी सीमा में घुस आया है और आप कह रहे हो कि कोई हमारी सीमा में नहीं आया। दल-बदल कानून मजाक बन कर रह गया है। कोई बोलेगा तो जेल जाएगा...देशद्रोही बना दिया जाएगा। लेकिन एक बात समझ लीजिए। कांग्रेस कभी खत्म नहीं होगी। इसका 150 साल पुराना इतिहास रहा है। कभी हारे, कभी जीते, कभी जेल गए तो कभी गद्दी पर भी बैठे। पर कांग्रेस को खत्म करने वाला कोई नहीं है।

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