नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कल विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रीनगर जाएंगे जहां वे स्थानीय लोगों से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और केसी वेणुगोपाल भी राहुल गांधी के साथ होंगे। इसके अलावा विपक्ष के कई नेता भी राहुल गांधी के साथ जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे। राहुल के साथ सीपीआई के डी राजा, सीपीएम के सीताराम येचुरी, डीएमके के टी शिवा, आरजेडी के मनोज झा और एनसीपी के माजिद मेनन, शरद यादव और दिनेश त्रिवेदी भी श्रीनगर जाएंगे। जानकारी के मुताबिक जानकारी के मुताबिक नेताओं का यह दल कल सुबह 11.30 बजे विस्तारा एयरलाइन्स की फ्लाइट से श्रीनगर के लिए रवाना होगा।
वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से इन नेताओं को जम्मू-कश्मीर का दौरा नहीं करने का अनुरोध किया गया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि ऐसे समय में जब सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को सीमा पार आतंकवाद और आतंकवादियों और अलगाववादियों द्वारा हमलों के खतरे से बचाने की कोशिश कर रही है और धीरे-धीरे उपद्रवियों और शरारती तत्वों को नियंत्रित करके सार्वजनिक व्यवस्था को बहाल करने की कोशिश कर रही है, सीनियर नेताओं की तरफ से कोई ऐसी कोशिश नहीं करनी चाहिए जिससे सामान्य होते जन जीवन को किसी तरह की कठिनाई हो। राजनीतिक नेताओं से अनुरोध किया जाता है कि वे श्रीनगर का दौरा न करें, क्योंकि इससे लोगों को असुविधा होगी। अभी भी कई इलाकों में प्रतिबंध है और उनके दौरे से इन प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा। वरिष्ठ नेताओं को यह समझना चाहिए कि शांति व्यवस्था बनाए रखने और नुकसान को रोकने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लागू होने के बाद राहुल गांधी की यह पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा होगी। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी को कश्मीर आने का न्योता दिया था जिसके बाद राहुल गांधी कल श्रीनगर जाने वाले हैं। वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद इससे पहले दो बार श्रीनगर पहुंचे लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा था।
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों को बांटने का कदम उठाया। इसके मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के कई इलाकों में ऐहतियातन भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई और मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया।