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कांग्रेस विपक्षी एकता की धुरी, एकमात्र राहुल हैं मोदी का विकल्प: कांग्रेस

आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकजुटता को लेकर चल रहे प्रयासों के बीच कांग्रेस ने आज कहा कि वही (कांग्रेस) विपक्षी दलों की ‘‘एकता की धुरी’’ बनेगी तथा केवल राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकल्प होंगे।

Reported by: Bhasha
Published on: February 04, 2018 10:56 IST
rahul gandhi- India TV Hindi
rahul gandhi

नयी दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकजुटता को लेकर चल रहे प्रयासों के बीच कांग्रेस ने आज कहा कि वही (कांग्रेस) विपक्षी दलों की ‘‘एकता की धुरी’’ बनेगी तथा केवल राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकल्प होंगे। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ‘भाषा’ को दिये साक्षात्कार में दावा किया, ‘‘मोदीजी का विकल्प केवल और केवल राहुलजी हैं। कोई और नहीं हो सकता। कांग्रेस और देश के लोग राहुलजी को देश का अगला प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।’’ 

सुरजेवाला ने यह बात इस सवाल के जवाब में कही कि अगले चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का विकल्प कौन बनेगा? उन्होंने कहा, ‘‘आज दो मॉडल हैं...मोदी मॉडल (जिसमें वह) दिन में छह बार कपड़े बदलते हैं, अपने कपड़ों की क्रीज भी खराब नहीं होने देते, अपनी वेशभूषा पर जितना समय लगाते हैं शायद शासन पर उतना समय नहीं लगाते। दूसरा मॉडल है राहुल गांधी का, जो सादगी, सरलता और साफगोई पर आधारित है। राहुल गांधी राजनीति में अपनी बेबाकी, पारदर्शिता और ईमानदारी के लिए मशहूर हुए हैं। वह कठोर निर्णय लेने से भी कभी नहीं डरते।’’ 

विपक्षी एकता के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि बीजद, शिवसेना और अब तेतुगु देशम पार्टी धीरे-धीरे राजग से अलग हो रहे हैं जबकि ‘‘कांग्रेस विभिन्न दलों की एकता की धुरी बनती जा रही है। ‘‘यह एकता 2019 में बदलाव का आधार बनेगी।’’ 

बता दें कि शिवसेना पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह 2019 का चुनाव भाजपा के साथ नहीं लड़ेगी। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग के अन्य बड़े घटक तेदेपा ने भी पिछले दिनों पेश किए गए आम बजट पर निराशा जतायी है। 

केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में पेश आम बजट में मध्यम वर्ग को निराशा हाथ लगने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को केवल जुमलों से छला है, दिया कुछ नहीं। नोटबंदी और जीएसटी की सबसे बड़ी मार भी इसी वर्ग पर सबसे अधिक पड़ी। 

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के मुताबिक सबसे ज्यादा टैक्स भी यही वर्ग देता है। उन्हें यह लगता है कि सबसे ज्यादा अमीर यही वर्ग है जबकि सच्चाई यह है कि सबसे ज्यादा मेहनतकश और ईमानदार यही वर्ग है। इस वर्ग को आज महंगाई की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। इसीलिए मध्यम वर्ग इस बात को अच्छी तरह समझ गया है कि मोदी सरकार में ‘‘बातें बहुत और काम कुछ भी नहीं।’’

वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कर चुकाने के मामले में नौकरीपेशा वर्ग की प्रशंसा करने के बावजूद उन्हें आयकर के मामले में कोई बड़ी राहत नहीं दी है। इस साल कर्नाटक सहित आठ राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की रणनीति पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा, ‘‘तरक्की के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक में कांग्रेस फिर से सत्ता में आएगी, ऐसा हमारा विश्वास है। हमने जिस तरह से कर्नाटक में विकास का एक मॉडल पेश किया है, चाहे वह ईवे बिल हो या कर्नाटक सरकार की अन्य योजनाएं हों, अब भारत सरकार भी मानती है कि उनका पूरे देश में क्रियान्वयन होना चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा कि अगले चरण में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि में जो चुनाव होंगे, उनका ट्रेलर दो दिन पहले राजस्थान के उप-चुनाव में आ चुका जहां कांग्रेस ने दो लोकसभा एवं एक विधानसभा सीट जीती। उन्होंने कहा, ‘‘यह गुस्सा अकेले वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ नहीं है। यह मोदी सरकार एवं राजे सरकार के जुमलों से ठगी गई जनता द्वारा कांग्रेस को वापस लाने की बयार है। ’’ 

पिछले सप्ताह घोषित हुए उप-चुनावों के नतीजों में कांग्रेस ने अजमेर और अलवर लोकसभा तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट जीत कर सत्तारूढ़ भाजपा को झटका दिया क्योंकि यह तीनों सीटें भगवा दल के पास थीं। वर्ष 2018 में कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं। 

पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की तीन प्राथमिकताएं पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता है अखिल भारतीय कांग्रेस और देश भर में इसकी इकाइयों के संगठन का पुनर्गठन और बदलाव। उनकी अन्य प्राथमिकता एक ऐसे ‘विजन’ को तैयार कर लागू करना है जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित लाभ मिल सके। इस विजन में निजी एवं सरकारी क्षेत्रों में नौकरियों के सृजन के उपाय होंगे। 

उन्होंने कहा, ‘‘मोदीजी के मॉडल में 12 उद्योगपतियों की मदद है जबकि राहुल गांधी के मॉडल में मध्यम एवं लघु उद्योग क्षेत्र को प्राथमिकता देकर उनके लिए मौके, बाजार और ऋण उपलब्ध कराना होगा।’’ उन्होंने कहा कि तीसरी प्राथमिकता है सामाजिक शांति एवं भाईचारे की बहाली। ‘‘मोदीजी यह भूल गये हैं कि जब सामाजिक तानाबाना टूटता है तो विकास का पहिया थम जाता है।’’ 

राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी का पहला महाधिवेशन कब होगा, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी इसकी तारीख निश्चित नहीं हुई है। किंतु वर्ष 2019 और उसके बाद के समय में इस देश की संरचना के लिए एक नयी दृष्टि कांग्रेस इस अधिवेशन के माध्यम से देश को देगी। गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस पर ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ की राह पर चलने की धारणा के कारण अल्पसंख्यक वर्गों के मन में कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता के रूख को लेकर आशंका होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,‘‘ धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है। राहुलजी शिवभक्त हैं। वह यदि आराधना और व्यक्तिगत विश्वास के लिए जाएं तो इसमें किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए?’’ 

उन्होंने कहा कि यह देश हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि सभी का है। इसमें कांग्रेस का अटूट विश्वास है क्योंकि यह भावना संविधान और देश की आत्मा में भी है। कांग्रेस और देश की आत्मा एक है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस परिपाटी को आजीवन निभायेंगे। राहुल गांधी भी इसके लिए संकल्पबद्ध हैं।’’ 

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