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राफेल डील: अपने बयान पर कायम हैं राहुल गांधी, कहा- फ्रांस को खंडन करने दीजिए

फ्रांस की तरफ से बयान आने के बाद भी राहुल गांधी ने अपने बयान पर कायम रहने की बात कही है। राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस खंडन करे तो करे, मैं अपने बयान पर कायम हूं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 20, 2018 19:41 IST
Rahul Gandhi still backs his Rafale Deal statement, says let France deny it if they deny | PTI- India TV Hindi
Rahul Gandhi still backs his Rafale Deal statement, says let France deny it if they deny | PTI

नई दिल्ली: मोदी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर सरकार और रक्षा मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद फ्रांस की सरकार ने राहुल के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच 2008 में गोपनीयता समझौता हुआ था। फ्रांस की तरफ से बयान आने के बाद भी राहुल गांधी ने अपने बयान पर कायम रहने की बात कही है। राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस खंडन करे तो करे, मैं अपने बयान पर कायम हूं। राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने मेरे सामने यह बात कही थी।

राहुल ने कहा, मेरे साथ मनमोहन और आनंद शर्मा भी थे मौजूद

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल गांधी ने फ्रांस के बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने मुझे कहा था कि डील की जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है। उस समय मेरे साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आनंद शर्मा भी मौजूद थे। फ्रांस खंडन करे तो करे, मैं अपने बयान पर कायम हूं। फ्रांस के राष्ट्रपति इनकार करते हैं तो करने दीजिए।’ आपको बता दें कि राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि राफेल डील में उनकी सरकार ने 520 करोड़ रुपये प्रति प्लेन में डील की थी, पता नहीं क्या हुआ किससे बात हुई और पीएम फ्रांस गए और जादू से हवाई जहाज की कीमत 1600 करोड़ प्रति प्लेन हो गई। उन्होंने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी उनसे कहा था कि सरकार इस डील की कीमत की जानकारी दे सकती है।

फ्रांस की सरकार ने खारिज किए राहुल के आरोप
फ्रांस की सरकार ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए अपने बयान में कहा, ‘हमने गौर किया कि राहुल गांधी ने आज भारतीय संसद में एक बयान दिया है। फ्रांस और भारत ने 2008 में एक सुरक्षा समझौता तय किया था जिसके अंतर्गत दोनों देशों को कानूनी तौर पर अधिक जानकारी साझा करने की मनाही थी। इससे दोनों देशों के रक्षा उपकरणों की सुरक्षा और क्रियान्वन पर प्रभाव पड़ सकता था। स्वाभाविक तौर पर यही बात 23 सितंबर 2016 को हुए 36 राफेल विमानों के अधिग्रहण के समझौते पर भी लागू होती है।’ आपको बता दें कि मोदी सरकार ने भी राफेल की कीमतों का खुलासा न करने पर इसी समझौते का हवाला दिया था।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी किया था पलटवार
आपको बता दें कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राहुल के आरोपों पर करारा पलटवार किया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि 25 जनवरी 2008 को फ्रांस के साथ सीक्रेसी अग्रीमेंट कांग्रेस की ही सरकार ने किया था, हम तो इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस अग्रीमेंट में राफेल डील भी शामिल है। राहुल ने सीतारमण पर आरोप लगाते हुए कहा था, 'रक्षा मंत्री ने पहले कहा कि मैं देश को हवाई जहाज का दाम बताऊंगी उसके बाद रक्षा मंत्री ने साफ कह दिया कि मैं यह आंकड़ा नहीं दे सकती हूं क्योंकि फ्रांस और भारत की सरकार के बीच सीक्रेसी अग्रीमेंट है।' रक्षा मंत्री ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने फ्रांस की सरकार के साथ गोपनीयता समझौता किया था।

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