नई दिल्ली: राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने चार पन्नों की चिट्ठी में इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि लोकसभा चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए वे अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। राहुल गांधी ने लिखा कि पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने की जरूरत है और वे कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने लिखा कि हमारे खिलाफ पूरी सरकारी मशीनरी थी.. हमारा लोकतंत्र बुनियादी तौर पर कमजोर है और देश में अब चुनाव महज रस्म अदायगी होगी।
राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि भाजपा को जहां अलगाव दिखता है वहीं मुझे समानता नजर आती है, भाजपा को जहां नफरत दिखती है वहीं मुझे प्यार नजर आता है, उन्हें जिनसे डर लगता है मैं गले लगाता हूं। देश के लाखों और करोड़ों लोगों में यही विचार है। वहीं राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से 'कांग्रेस अध्यक्ष' हटा दिया है।
राहुल गांधी ने लिखा है कि 2019 की असफलता के लिए और भी लोगों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इस हार के लिए दूसरों को जवाबदेह ठहराना अन्याय होगा लेकिन पार्टी अध्यक्ष के तौर पर मैं अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी नहीं कर सकता।
मेरे कई सहयोगियों ने यह सुझाव दिया है कि अगले कांग्रेस अध्यक्ष को मैं नॉमिनेट करूं लेकिन मेरे लिये यह उचित नहीं कि मैं किसी व्यक्ति का चयन इस पद के लिए करूं। हमारी पार्टी का गौरवशाली इतिहास रहा है और मैं इसका सम्मान करता हूं। यह देश के कण-कण में बसी हुई है और मुझे भरोसा है कि पार्टी यह फैसला करेगी कि कौन हमें साहस, प्यार और सत्यनिष्ठा के साथ हमारा नेतृत्व करता है।
गांधी ने कहा, ‘‘मेरी लड़ाई सिर्फ राजनीतिक सत्ता के लिए कभी नहीं रही है। भाजपा के प्रति मेरी कोई घृणा या आक्रोश नहीं है, लेकिन मेरी रग-रग में भारत का विचार है।’’ उन्होंने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमारे देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का आरएसएस का घोषित लक्ष्य पूरा हो चुका है। हमारा लोकतंत्र बुनियादी तौर पर कमजोर हो गया है। अब इसका वास्तविक खतरा है कि आगे चुनाव महज रस्म अदायगी भर रह जाए।’’
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि कार्य समिति के सदस्यों ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए उन्हें आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था। इसके बाद से गांधी लगातार इस्तीफे पर अड़े हुए थे। हालांकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे आग्रह किया था कि वह कांग्रेस का नेतृत्व करते रहें।