नई दिल्ली। शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन सदस्यों ने इसे ठुकरा दिया और प्रतिकूल परिस्थिति में उनसे पार्टी का नेतृत्व करते रहने का आग्रह किया। और सीडब्ल्यूसी की बैठक में गांधी को पार्टी संगठन में आमूलचूल परिवर्तन के लिए अधिकृत किया गया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संवादाताओं से कहा, ''राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की। सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उनकी पेशकश को खारिज किया और आग्रह किया कि आपके नेतृत्व की जरूरत है और आगे भी रहेगी।'' गुलाम नबी आजाद ने ये दावा किया कि अगर कोई नेता राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की भूमिका निभा सकता है तो वह राहुल गांधी हैं।''
ये है राहुल गांधी के इस्तीफे का पूरा घटनाक्रम
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने सोनिया गांधी से पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने की बात की। राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाकर सार्वजनिक रूप से इस्तीफा देना चाहते थे, जिसके लिए सोनिया गांधी तैयार नहीं थीं। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को कुछ वक्त रुकने के लिए कहा। सोनिया दो बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर गईं और उन्हें समझाने की कोशिश करती रहीं।
सोनिया गांधी ने इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से भी बात की। पार्टी के तमाम नेताओं से बात करने के बाद सोनिया गांधी ने राहुल गांधी से कहा कि आपको कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अध्यक्ष बनाया है, तो आपकी बतौर अध्यक्ष उनके प्रति जवाबदेही है। इसलिए पार्टी की कार्यसमिति में अपनी बात रखिए।
इस दौरान राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी उनको अध्यक्ष पद से इस्तीफा न देने को लेकर मनाती रहीं। प्रियंका प्रेस ब्रीफिंग में साथ में गयीं। तभी राहुल ने इस्तीफे के सवाल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये उनके और सीडब्लूसी के बीच की बात है।
हालांकि राहुल गांधी इस दौरान भी इस्तीफे पर अड़े हुए थे। पार्टी नेताओं को डर था कि अगर राहुल ने इस्तीफा पेश किया तो फिर वो वापस नहीं लेने पर अड़ सकते हैं। इसलिए कार्यसमिति के पहले तक उन्हें को समझाने की कोशिशें हुईं। मीटिंग के पहले भी प्रियंका, मनमोहन ने राहुल से इस्तीफे की पेशकश नहीं करने को लेकर समझाया, लेकिन राहुल गांधी नहीं माने।
अंदरखाने कांग्रेस के सभी सदस्यों को एहसास था कि राहुल पेश करने वाले हैं। इसीलिए सभी ने अपनी तरफ से बैठक में राहुल के बोलने के पहले ही एक-एक कर बोलना शुरू किया। कांग्रेस नेतोओं ने कहा - आपको इस्तीफ़ा देने की जरूरत नहीं। आप नहीं तो कौन, आप ही बताइए। सभी हारे हैं, इंदिरा संजय भी हारे थे।“
मीटिंग में राहुल सबको सुनते रहे, आखिर में बारी आई तो राहुल ने साफ कहा, “मैं पार्टी का अध्यक्ष नहीं रहना चाहता, हार की ज़िम्मेदारी मैं लेता हूँ। नया अध्यक्ष चुनिए। आप लोग प्रियंका गांधी का नाम मत लीजियेगा, परिवार से बहार किसी नॉन गांधी को चुनिए।”
हालांकि कार्यसमिति ने राहुल की पेशकश के पहले ही प्रस्ताव पास कर दिया कि, राहुल अध्यक्ष बने रहेंगे और वो पार्टी में जो चाहें बदलाव करें। अभी भी राहुल अपनी बात पर अड़े हुए हैं। राहुल गांधी के करीबी भी मानते हैं कि उनको को मनाना आसान नहीं होगा।