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सियासी जंग जीतने में भी महारथी हैं जनरल वी के सिंह, मोदी सरकार में फिर मिला मंत्री पद

राजनीति में शामिल होने से पहले 68 वर्षीय जनरल सिंह सेनाध्यक्ष थे। वे परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल जैसे सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं । वह 31 मार्च 2010 में सेनाध्यक्ष बने और 31 मई 2012 को इसी पद से सेवानिवृत्त हुए। जनरल सिंह एक मार्च 2014 को भाजपा में शामिल हुये और 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और विजयी हुए।

Reported by: Bhasha
Updated on: May 30, 2019 21:53 IST
vk singh- India TV Hindi
Image Source : TWITTER गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह

लखनऊ। जनरल वीके सिंह के बारे में एक कहावत सच साबित होती है कि ‘‘एक फौजी, हमेशा फौजी ही रहता है।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैबिनेट में शामिल किए गए जनरल सिंह ने अपने जुझारू तेवरों का बखूबी परिचय दिया है। गुरूवार को उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की पहली पारी में विदेश राज्य मंत्री के रूप में सिंह ने युद्धग्रस्त यमन में साल 2015 में चलाए गए ‘‘आपरेशन राहत’’ में चुनौतीपूर्ण अभियान की कमान संभाली ।इस अभियान के दौरान यमन से 4800 भारतीयों और अन्य देशों के 1972 नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था।

जुलाई2016 में भी जनरल वी के सिंह ने एक बार फिर से हिंसाग्रस्त दक्षिणी सूडान में ‘‘आपरेशन संकट मोचन’’ की कमान संभाली और वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकाला। उन्होंने कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मामलों में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शानदार भूमिका निभाई । इसके अलावा एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबाई द्वीपों तथा यूरोप में विशेष कार्यक्रमों में शामिल हुये।

राजनीति में शामिल होने से पहले 68 वर्षीय जनरल सिंह सेनाध्यक्ष थे। वे परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल जैसे सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं । सेनाध्यक्ष रहते उनके साथ कुछ विवाद भी जुड़े थे। जब वह सेनाध्यक्ष बने तब उन्होंने दावा किया कि वह 1951 में पैदा हुये थे न कि 1950 में जैसा कि सेना के आधिकारिक रिकार्ड में दर्ज है।

वह 31 मार्च 2010 में सेनाध्यक्ष बने और 31 मई 2012 को इसी पद से सेवानिवृत्त हुए। जनरल सिंह एक मार्च 2014 को भाजपा में शामिल हुये और 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और विजयी हुए।

सिंह इंडियन पोलो एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं तथा टेनिस, गोल्फ और बैडमिंटन के अलावा घुड़सवारी में भी रूचि रखते हैं। अपनी आत्मकथा ‘‘ करेज एंड कंविक्शन’’ में सिंह ने दावा किया है कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदम्बरम को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेना की तैनाती के खिलाफ आवाज उठाना रास नहीं आया था। 

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