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मोदी-योगी के गढ़ में क्या चलेगा प्रियंका का जादू, क्या है यूपी वाला फॉर्मूला?

उत्तर प्रदेश सियासत का दिल है और 2014 के आंकड़े बताते हैं कि उस दिल पर राज करने वाले नरेंद्र मोदी को बेदखल किए बिना दिल्ली फतेह मुमकिन नहीं। प्रियंका राहुल गांधी की बैसाखी बनेगी या तुरुप का इक्का इसका जवाब जनता देगी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 24, 2019 10:17 IST
मोदी-योगी के गढ़ में क्या चलेगा प्रियंका का जादू, क्या है यूपी वाला फॉर्मूला?
मोदी-योगी के गढ़ में क्या चलेगा प्रियंका का जादू, क्या है यूपी वाला फॉर्मूला?

नई दिल्ली: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 की चुनावी जंग का सबसे बड़ा मास्टरकार्ड खेल दिया है। कांग्रेस ने अपने तरकश के तुरुप के इक्के को चुनावी मैदान में खड़ा कर दिया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की सियासत में एंट्री ने देश की सियासत के केंद्र उत्तर प्रदेश के चुनावी समर को नया रंग और नई धार दे दी है लेकिन सवाल ये है कि क्या प्रियंका के भरोसे कांग्रेस यूपी में कायापलट कर पाएगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका की एंट्री से एसपी-बीएसपी गठबंधन और बीजेपी दोनों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में बीजेपी और एसपी-बीएसपी गठबंधन अपनी रणनीति फिर से तैयार करने को मजबूर होंगे। 

राहुल ने यूपी के जिस इलाके की जिम्मेदारी प्रियंका को दी है वहां कांग्रेस की जमीन पूरी तरह बंजर है। इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका गांधी के ऊपर यूपी की चालीस सीटों पर कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की इन चालीस सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ दो सीट मिली थी। एक अमेठी और दूसरी रायबरेली।

माना जा रहा है कि पूर्वांचल की जिन सीटों पर प्रियंका का असर होगा उनमें गोरखपुर, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, अमेठी, सुल्तानपुर, वाराणसी, फूलपुर, इलाहाबाद, अयोध्या, गोंडा, बस्ती, आजमगढ़, गाजीपुर, कुशीनगर, अकबरपुर, बाराबंकी, देवरिया, बलिया, घोसी, भदोही, चंदौली, मिर्जापुर, सीतापुर और हरदोई शामिल हैं।

पूर्वांचल में करीब 19 जिले आते हैं। 2014 की मोदी लहर में आजमगढ़, अमेठी और रायबरेली को छोड़ यहां की सभी सीटें बीजेपी के खाते में चली गई थी। कांग्रेस महज दो सीटों रायबरेली और अमेठी तक सिमट कर रह गई। ऐसे में 2019 की जंग में राहुल गांधी ने प्रियंका को कांग्रेस का महासचिव बनाया और जिम्मा दिया पूर्वांचल का जहां से प्रधानमंत्री मोदी सांसद हैं और योगी आदित्यनाथ सीएम हैं।

कांग्रेस की मानें तो संकेत साफ है, प्रियंका के सहारे राहुल गांधी ने सिक्सर मारा और मोदी-योगी के किले को भेदने के लिए ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया है। राहुल भले ही इस फैसले पर इतरा रहे हों लेकिन बीजेपी कह रही है कि राहुल फेल हो गए हैं इसलिए अब उन्हें बैसाखी चाहिए। अकाली दल ने तो प्रियंका को पार्टी अध्यक्ष बनाकर ही आजमाने की चुनौती दे दी।

उत्तर प्रदेश सियासत का दिल है और 2014 के आंकड़े बताते हैं कि उस दिल पर राज करने वाले नरेंद्र मोदी को बेदखल किए बिना दिल्ली फतेह मुमकिन नहीं। प्रियंका राहुल गांधी की बैसाखी बनेगी या तुरुप का इक्का इसका जवाब जनता देगी।

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