नई दिल्लीः कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रपति को 2 करोड़ हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपने जा रहे थे। पुलिस ने कांग्रेस की ओर से सिर्फ तीन नेताओं को राष्ट्रपति भवन तक जाने की इजाजत दी थी। राष्ट्रपति भवन तक कूच की जिद पर अड़े कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस बीच राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का तीन सदस्यीय दल राष्ट्रपति भवन पहुंचा जहां किसानों के 2 करोड़ हस्ताक्षर का ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा गया और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा- जवान किसान का बेटा होता है, जो किसानों की आवाज ठुकरा रहा है, अपनी जिद्द पर अड़ा हुआ है जबकि देश का अन्नदाता बाहर ठंड में बैठा है तो उस सरकार के दिल में क्या जवान, किसान के लिए आदर है या सिर्फ अपनी राजनीति, अपने पूंजीपति मित्रों का आदर है?
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उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ 'गलत व्यवहार' कर रही है और इसका हल तभी निकाला जा सकता है जब सरकार किसानों की मांगों को सुनने के लिए तैयार हो। उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को आतंक के रूप में देखा जाने लगा है। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को दो करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के ज्ञापन के साथ कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति भवन कूच कर रहे कई कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल थीं।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद को राष्ट्रपति रामानाथ कोविंद से मिलने की अनुमति दी। इनलोगों के पास पहले से ही राष्ट्रपति से मिलने का अप्वाइंटमेंट था।इससे पहले दिन में, राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च करने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचे।पार्टी मुख्यालय में दोनों नेताओं के साथ कई वरिष्ठ नेता भी इकट्ठा हो गए। जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन की ओर अपना मार्च शुरू किया, तो दिल्ली पुलिस ने प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई कांग्रेस नेताओं को धारा 144 का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में ले लिया।
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दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए, प्रियंका ने कहा, "किसानों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। हम किसानों को समर्थन देने के लिए इस मार्च का आयोजन कर रहे हैं। इस सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को आतंक के तत्वों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।उन्होंने कहा, "सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों और लोगों की बात सुने।" यह पूछे जाने पर कि सरकार कैसे इस समस्या का हल निकाल सकती है, पर उन्होंने कहा, "समाधान केवल तभी पाया जा सकता है जब सरकार किसानों की मांगों को सुनने के लिए तैयार हो।"